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स्तन कैंसर महिला मरीजों की मदद के लिए ‘द पिंक ब्रंच’ अभियान शुरू !

बताया जा रहा है कि स्तन कैंसर से जूझ रही गरीब सुविधाहीन महिलाओं की मदद करने के लिए फंड इकठ्ठा करने के मकसद से चीयर्स टू लाइफ फाउंडेशन ने स्ट्रैंड लाइफ साइंसेस के सहयोग से ‘द पिंक ब्रंच’ पहल की शुरुआत की। इस पहल का मुख्य उद्देश्य स्तन कैंसर से जुड़े सामाजिक कलंक को तोड़ना
स्तन कैंसर महिला मरीजों की मदद के लिए ‘द पिंक ब्रंच’ अभियान शुरू !

बताया जा रहा है कि स्तन कैंसर से जूझ रही गरीब सुविधाहीन महिलाओं की मदद करने के लिए फंड इकठ्ठा करने के मकसद से चीयर्स टू लाइफ फाउंडेशन ने स्ट्रैंड लाइफ साइंसेस के सहयोग से ‘द पिंक ब्रंच’ पहल की शुरुआत की। इस पहल का मुख्य उद्देश्य स्तन कैंसर से जुड़े सामाजिक कलंक को तोड़ना और स्तन कैंसर से जूझ रही गरीब सुविधाहीन महिलाओं के लिए फंड इकट्ठा करना था। इस इवेंट के आकर्षणों में स्तन कैंसर को हराने वाली हिम्मती महिलाओं द्वारा फैशन वॉक शामिल है। महिलाओं के लिए पोशाकों को डिजाइनर वारिजा बजाज ने कॉन्सेप्चुअलाइज किया है। इसके अलावा इस इवेंट में लाइव सिंगिंग परफॉर्मेस और बच्चों के लिए गतिविधियां शामिल थीं। इस इवेंट में लगभग 120 लोगों ने हिस्सा लिया।

आंकड़ों के मुताबिक, स्तन और ओवेरियन कैंसर अनुवांशिक कैंसर का सबसे ज्यादा रिकॉर्ड किया जाने वाला प्रकार है और यह कैंसर से होने वाली मौतों के सबसे प्रमुख कारणों में से एक है। भारत में नए मामलों से होने वाली मौतें 48.3 प्रतिशत हैं, जो अमेरिका (18.9) प्रतिशत और यूरोपियन यूनियन (25.4) प्रतिशत से बहुत ज्यादा है। 2020 तक स्तन कैंसर से लगभग 76,000 महिलाओं की जान जाने का खतरा है।

चीयर्स लाइफ फाउंडेशन की संस्थापक व अध्यक्ष डिंपल बावा ने कहा, “‘द पिंक ब्रंच’ का उद्देश्य इस समस्या की गंभीरता व स्तन कैंसर से जूझ रही गरीब महिलाओं तक पहुंचने की आवश्यकता पर बल देना था। हम सभी जानते हैं कि बीमारी के साथ भारी वित्तीय संकट आता है। यह समझते हुए कि हर जीवन बहुमूल्य है, हम इस इवेंट द्वारा इकठ्ठा हुई 100 प्रतिशत राशि इन महिलाओं के इलाज के लिए देंगे। इस इवेंट द्वारा हम कैंसर मरीजों की बीमारी से संघर्ष करने की भावना को सम्मानित करते हैं।”

स्ट्रैंड लाइफ साइंसेज के चेयरमैन डॉ. विजय चंद्रू ने कहा, “स्तन कैंसर भारत की महिलाओं के लिए एक बड़ी समस्या है और हर साल स्तन कैंसर के मामले बढ़ते जा रहे हैं। आज की जरूरत है कि लोगों को इस बीमारी का पता लगाने के बारे में जागरूक बनाया जाए और उन्हें उपलब्ध मेडिकल विकल्पों द्वारा इलाज मुहैया कराया जाए।”

न्यूज स्त्रोत आईएएनएस

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