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अपनी ही प्रजाति को शिकार बनाती है ये पेलिकन मकड़ियाँ

जयपुर। दुनिया में कई जीव है जो बहुत ही दुर्भल है और धरती पर बहुत ही विशेष है। जब इनको खोजा जाता है तो इनकी विशेषता देखकर हर कोई हैरान हो जाता है। इस तरह से वैज्ञानिकों ने हाल ही में मकड़ी की एक ऐसा प्रजाति खोजी है जिसका नाम है पेलिकन मकड़ी। आपको बता
अपनी ही प्रजाति को शिकार बनाती है ये पेलिकन मकड़ियाँ

जयपुर। दुनिया में कई जीव है जो बहुत ही दुर्भल है और धरती पर बहुत ही विशेष है। जब इनको खोजा जाता है तो इनकी विशेषता देखकर हर कोई हैरान हो जाता है। इस तरह से वैज्ञानिकों ने हाल ही में मकड़ी की एक ऐसा प्रजाति खोजी है जिसका नाम है पेलिकन मकड़ी। आपको बता दे कि इसको हवासील भी कहते हैं। ये एक बहुत ही दुर्लभ समुद्री पक्षी है, जिसकी चोंच के नीचे बनी थैली उसे विशिष्ट पहचान देती है। पेलिकन की तरह दिखने वाली मकड़ियों की एक प्रजाति है।अपनी ही प्रजाति को शिकार बनाती है ये पेलिकन मकड़ियाँ

इसकी ये खोज ज़ूकीज जर्नल में प्रकाशित किया गया है। आपको बता दे कि पेलिकन मकड़ी की प्रजाति को सबसे पहले 1854 में खोजा हुई थी। जो कि मेडागास्कर द्वीप के आसपास पाई जाती है। संयुक्त राज्य अमेरिका के शोधकर्ताओं ने बताया कि इसकी लंबी गर्दन और चेहरे के पास की थैली इन्हें पेलिकन के समकक्ष बनाती है। सबसे हैरान कर देने वाली बात तो ये है कि ये मकड़ियां अन्य मकड़ियों को खा जाती हैं।अपनी ही प्रजाति को शिकार बनाती है ये पेलिकन मकड़ियाँ

इसलिये इनको शिकारी मकड़ी भी कहते है। ये अपना शिकार बड़े जबड़ों से करती जिससे ये शिकार को धर दबोचती हैं और इसी तरह से ये अपने बचाव के लिये ये मकड़ियां विशाल तंतु का प्रयोग करती हैं। जानकारी दे दे कि नेशनल ज्योग्राफिक के एंटोमोलॉजिस्ट इन्हें छोटे भेड़िये कहते हैं, जो अन्य मकड़ियों का सफाया कर देते हैं इसका ये मतलब है कि पेलिकन मकड़ियां एक दूसरे का शिकार नहीं करती हैं। शोधकर्ताओं ने इन मकड़ियों के जीवाश्म करोड़ों वर्ष पुराने प्राप्त किये हैं। मेडागास्कर के इलाके में जैव विविधता से भरपूर है।अपनी ही प्रजाति को शिकार बनाती है ये पेलिकन मकड़ियाँ

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