Samachar Nama
×

एक ऐसा मंदिर जहां रात को रुकने वाले की हो जाती है मौत

जयपुर। भारत में ऐसे ऐसे मंदिर हैं जिनके बारे में शायद ही हमें पूरी जानकारी होगी। ऐसे अजब गजब मंदिर और उन मंदिरों से जुडी मान्यता है कि जिनके बारे में जानकर भी हैरानी होती है। आज इस लेख में हम एक ऐसे मंदिर के बारे मे बता रहें है जहां पर रात को रुकने
एक ऐसा मंदिर जहां रात को रुकने वाले की हो जाती है मौत

जयपुर। भारत में ऐसे ऐसे मंदिर हैं जिनके बारे में शायद ही हमें पूरी जानकारी होगी। ऐसे अजब गजब मंदिर और उन मंदिरों से जुडी मान्यता है कि जिनके बारे में जानकर भी हैरानी होती है। आज इस लेख में हम एक ऐसे मंदिर के बारे मे बता रहें है जहां पर रात को रुकने वाले की मौत हो जाती है।

एक ऐसा मंदिर जहां रात को रुकने वाले की हो जाती है मौत

मध्य प्रदेश के सतना जिले के कटनी में स्थित मां शारदा का मंदिर। इस मंदिर के बारे में मान्यता है कि जो भी व्यक्ति इस मंदिर में रात के समय रुकता है,  उसकी मृत्यु हो जाती है। अपनी इस मान्यता के कारण इस मंदिर को रात 2 से सुबह 5 बजे तक के लिए बंद रखा जाता है।

एक ऐसा मंदिर जहां रात को रुकने वाले की हो जाती है मौत

इस मंदिर के लिए प्रचलित मान्यता के अनुसार प्रजापति दक्ष की पुत्री सती ने भगवान शिव से विवाह किया लेकिन राजा दक्ष को ये बात मंजूर नहीं थी। एक बार राजा दक्ष ने एक बढें यज्ञ का आयोजन किया जिसमें ब्रह्मा, विष्णु, इंद्र और अन्य सभी देवी-देवताओं को आमंत्रित किया गया। लेकिन भगवान शिव को नहीं बुलाया। इस बात से माता सती बहुत आहत हुईं और बिन बुलाएं राजा दक्ष के यक्ष में चली गई जहां पर भगवान शिव का अपमान किया गया जिससे माता सती ने वही पर यज्ञ के हवन कुंड में कूदकर अपनी प्राणाहुति दे दी।

एक ऐसा मंदिर जहां रात को रुकने वाले की हो जाती है मौत

 

जब भगवान शिव को इस बात का पता लगा तो उन्होंने यज्ञ कुंड से माता सती के पार्थिव शरीर को निकाल कर अपने कंधे में ले कर तांडव करने लगे। उस समय भगवान विष्णु ने माता सती के पार्थिव शरीर को 52 भागों में विभाजित कर दिया। जहां जहा पर ये अंग गिरे वहा पर शक्तिपीठ बनें। ऐसे में माना जाता है कि इस स्थान पर माता का हार गिरा। लेकिन सतना का यह मंदिर शक्ति पीठ नहीं माना जाता लेकिन भक्तों की आस्था के कारण यहां पूरे साल भक्तों का आना जाना लगा रहता है।

एक ऐसा मंदिर जहां रात को रुकने वाले की हो जाती है मौत

क्षेत्रीय मान्यता के अनुसार आल्हा और उदल दो भाई जो माता के बडे भक्त थे। इन्होंने देवी की 12 सालों तक तपस्या की और देवी को खुश किया था। जिसके बाद माता ने उन्हें अमरत्व का आशीर्वाद दिया। उसके बाद से यह मंदिर माता शारदा माई के नाम से प्रसिद्ध हुआ। कहा जाता है कि मां शारदा का मंदिर रात के समय इसलिए बंद किया जाता है क्योंकि इसी समय ये दोनों भाई मां के दर्शन करने के लिए यहां आते हैं। ये दोनों भाई मां की पूजा करने के साथ ही माता का श्रृंगार भी करते हैं। इस कारण से रात के समय मंदिर को बंद कर दिया जाता है। लोगों का मानना है कि अगर कोई रात के समय मंदिर में रुकता है तो उसकी मौत हो जाती है।

Share this story