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अब तक का सबसे दूरस्थ तारा जिसकी रोशनी को पृथ्वी तक आने में लगते हैं अरबों साल

जयपुर। इंसानों ने अब तक कई तरह के ग्रह खोज लिये है जो कई प्रकाश दूर है इनके बारे में ये निरिक्षण भी करते रहते है। इनकी खासियतों के बारे में भी जानकारी इकठ्ठा करते है जिससे इनको ब्रह्मांड को जानने में मदद मिलती है। आपको बता दे कि इसी तरह की खोज करते करते
अब तक का सबसे दूरस्थ तारा जिसकी रोशनी को पृथ्वी तक आने में लगते हैं अरबों साल

जयपुर। इंसानों ने अब तक कई तरह के ग्रह खोज लिये है जो कई प्रकाश दूर है इनके बारे में ये निरिक्षण भी करते रहते है। इनकी खासियतों के बारे में भी जानकारी इकठ्ठा करते है जिससे इनको ब्रह्मांड को जानने में मदद मिलती है। आपको बता दे कि इसी तरह की खोज करते करते आज इंसान ने ब्रह्मांड का 5 प्रतिशत  भाग जान लिया है। इसी की दिखा में कामकर एक ऐसे तारे को खोजा है जो इतना दूर है कि इसकी रोशनी धरती पर आने में 9 अरब का साल लगाती है। इससे आंदाजा लगा सकते है कि ये तारा धरती से कितना दूर है। ऐसे तो हम इस तारे के बारे में जानकारी निकालने की कोशिश कर रहे है।

अब तक का सबसे दूरस्थ तारा जिसकी रोशनी को पृथ्वी तक आने में लगते हैं अरबों साल

लेकिन दिक्कत ये आ रही है कि यहां तक पहुँचने के लिए हमारे पास कोई खास तकनीक नहीं है जिससे इसके बारे में जानकारी निकाली जा सकें। आपको जानकारी दे दे कि ये तारा नासा ने को खोज निकाला है। नासा की शक्तिशाली अंतरिक्ष अंतरिक्ष दूरबीन हबल ने अब तक का सबसे दूर स्थित तारा खोज लिया है। इससे बारे में थोड़ी सी जानकारी मिली है कि ब्रह्मांड के बिल्कुल बीच में स्थित नीले रंग के इस विशालकाय तारे का नाम इकारस है।
अब तक का सबसे दूरस्थ तारा जिसकी रोशनी को पृथ्वी तक आने में लगते हैं अरबों साल

यह हबल से भी यह तारा बहुत ही धुंधला दिखाई देता है। वैसे तो ग्रेवीटेशनल लेनसिंग नामक एक खास तकनीक की सहायता तारों की चमक को तेज किया जा सकता है और ये अनोखी खोज बर्केले स्थित यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया ने की है इनका मानना है कि ऐसा ब्रह्मांड के इतिहास में पहली बार हुआ है कि इतनी दूर स्थित किसी तारे का पता चला है।

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