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जाने शीतलाष्टमी का पूजा करने का महत्व

शीतला सप्तमी पर बसंत ऋतु का अंतिम बासी भोजन किया जाता है और यह सीख ली जाती है कि अब गर्मी में बासी भोजन नहीं खाना है।दोनो वर और वधू अपने वैवाहिक जीवन में शांति और समृध्दि पाने के लिए मां शीतला का पूजन करते हैं। हमारे जीवन में संताप और ताप से हम बचे
जाने शीतलाष्टमी का पूजा करने का महत्व

शीतला सप्तमी पर बसंत ऋतु का अंतिम बासी भोजन किया जाता है और यह सीख ली जाती है कि अब गर्मी में बासी भोजन नहीं खाना है।दोनो वर और वधू अपने वैवाहिक जीवन में शांति और समृध्दि पाने के लिए मां शीतला का पूजन करते हैं। हमारे जीवन में संताप और ताप से हम बचे रहें और शांति और शीतलता बनी रहे इस कामना से हम मां शीतला का पूजन करते हैं।जाने शीतलाष्टमी का पूजा करने का महत्व

होली के त्योहार के बाद के सातवें दिन को शीतला सप्तमी मनाई जाती है। कहीं-कहीं इसे शीतला अष्टमी के दिन भी मनाया जाता है। बासी भोजन का भोग लगाने के कारण अनेक जगहों पर इसे “बसौड़ा” त्योहार कहकर भी पुकारा गया है। शीतला सप्तमी के दिन स्त्रियां परिवार की खुशहाली और शांति की कामना से श्वेत पाषाण रुपी माता शीतला की पूजा करती हैं।जाने शीतलाष्टमी का पूजा करने का महत्व

किसी त्योहार पर बासी भोजन करने के पीछे तर्क और युक्ति है। दरअसल शीतला सप्तमी पर वसंत ऋतु बीत रही होती है और ग्रीष्म ऋतु का आना होता है  इसीलिए इस त्योहार पर अंतिम बार बासी भोजन किया जाता है ।जाने शीतलाष्टमी का पूजा करने का महत्व

शीतला सप्तमी का पर्व हमें यह सिखाता है गर्मी के मौसम में भोजन जल्दी ही खराब हो जाता है इसलिए भूलकर भी बासी भोजन नहीं खाना चाहिए। हमारे सारे ही त्योहार हमें कुछ न कुछ सीख सीखा जाते हैं लेकिन समय के साथ उनके अर्थ थोड़े बदल गए और हमने भी उनके महत्वों को ठीक तरह से नहीं समझा।

जाने शीतलाष्टमी का पूजा करने का महत्व

शीतला सप्तमी के दिन प्रात:काल में स्त्रियां पूजन के लिए मंदिर जाती हैं। शीतला माता को बाजरा, जौ, चने और अन्य अन्ना उबालकर उसकी राबड़ी का भोग लगाती हैं। इस अन्न को देवी को चढ़ाए जाने का भी प्रतीकात्मक महत्व यह है कि अब चूंकि ऋतु बदल गई है तो अपने खानपान में ऐसी ही चीजों को शामिल करना है जो शीतलता दे। शीतला माता को दुग्ध और दही से भी स्नान कराने के पीछे की मान्यता यही है कि देवी की कृपा से पारिवारिक रिश्तों के बीच कभी खटास न आने पाए और संबंध हमेशा सरस बने रहें।

 

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