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50 साल पहले की गई कल्पना वैज्ञानिकों ने बदला हकिक़त में

जयपुर। वैसे तो वैज्ञानिकों ने विज्ञान के क्षेत्र में कई तरह की तरक्की कर ली है। आपको बता दे कि हाल ही में वैज्ञानिकों ने पदार्थ की कुछ अवस्थाएं खोज कर ली है। वैज्ञानिकों ने एक्सीटोनियम नामक पदार्थ की नई अवस्था का अस्तित्व प्रमाणित किया है। आपको बता दे कि इस पदार्थ की कल्पना पचास
50 साल पहले की गई कल्पना वैज्ञानिकों ने बदला हकिक़त में

जयपुर। वैसे तो वैज्ञानिकों ने विज्ञान के क्षेत्र में कई तरह की तरक्की कर ली है। आपको बता दे कि हाल ही में वैज्ञानिकों ने पदार्थ की कुछ अवस्थाएं खोज कर ली है। वैज्ञानिकों ने एक्सीटोनियम नामक पदार्थ की नई अवस्था का अस्तित्व प्रमाणित किया है। आपको बता दे कि इस पदार्थ की कल्पना पचास वर्ष पूर्व की गयी थी। बता दे कि यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफ़ोर्निया एवं यूनिवर्सिटी ऑफ इलिनोइस के शोधकर्ताओं ने एक ट्रांज़िशन मेटल, डाइक्लकोजीनाइड टाइटेनियम डिसेलनेइड (1टी-टीआईएसई2) के नॉन-डोप्ड क्रिस्टल्स का अध्ययन किया।50 साल पहले की गई कल्पना वैज्ञानिकों ने बदला हकिक़त में

शोधकर्ताओं ने इसके बारे में बताया कि एक्सीटोनियम एक सुपरकंडक्टर की तरह मैक्रोस्कोपिक क्वांटम के सिद्दांत को दर्शाता है और ये पदार्थ एक्साईटोन्स अणुओं से बनता है, जो कि क्वांटम मैकेनिकल युग्मों में जुड़े हुये होते हैं। शोधकर्ताओं ने इस शोध के लिए मोमेंटम-रेसोल्वेड इलेक्ट्रान एनर्जी-लॉस स्पेक्ट्रोस्कोपी (एम-ईईएलएस) तकनीक का उपयोग किया था। इसी के साथ ही इस टेक्नोलॉजी के साथ-साथ कम ऊर्जा वाले बोसोनिक कणों, युग्मित इलेक्ट्रॉन व होल्स की एक्साइटेशन का भी मापन किया।50 साल पहले की गई कल्पना वैज्ञानिकों ने बदला हकिक़त में

इसकी इतिहास से वाकिफ करा दे कि एक्सीटोनियम शब्द का प्रयोग सबसे पहले हार्वर्ड थ्योरेटिकल फिजिसिस्ट बर्ट हाल्परिन ने 1960 के दशक में किया था। फिर फिजिसिस्टो ने इसके वज़ूद को खोजने के प्रयास शुरू कर दिए थे लेकिन आपको बता दे कि कई भौतिकशास्त्री इस बात को लेकर सहमत नहीं है कि एक्सीटोनियम एक इन्सुलेटर है, या सुपर कंडक्टर है, या फिर कोई एक सुपरफ्लुइड है। शोधकर्ताओं ने इसके बारे मे कहा है कि यह खोज क्वांटम मैकेनिकल रहस्यों को सुलझाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभायेगी। ये अगर साबित हो जाती है तो इससे कई तरह के काम आसान हो जायेंगे।50 साल पहले की गई कल्पना वैज्ञानिकों ने बदला हकिक़त में

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