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टेंशन लेने से कम हो सकती है आपकी याददाश्त

जयपुर। कहते है कि चिंता चिता से भी खतरनाक होती है। दिमाग का एक हिस्सा हमारी यादों को सहेजकर रखता है। इस हिस्से से ही हमारी सामान्य याददाश्त जुड़ी हुई होती है। साथ ही मतिभ्रम की घटना भी इसी से जुड़ी होती है। हाल ही में हुए एक शोध से यह मालूम चला है कि
टेंशन लेने से कम हो सकती है आपकी याददाश्त

जयपुर। कहते है कि चिंता चिता से भी खतरनाक होती है। दिमाग का एक हिस्सा हमारी यादों को सहेजकर रखता है। इस हिस्से से ही हमारी सामान्य याददाश्त जुड़ी हुई होती है। साथ ही मतिभ्रम की घटना भी इसी से जुड़ी होती है। हाल ही में हुए एक शोध से यह मालूम चला है कि इस हिस्से का संबंध लत, चिंता और अवसाद से हो सकता है।टेंशन लेने से कम हो सकती है आपकी याददाश्त

जी हां, हालिया अध्ययन के नतीजे बताते है कि दिमाग के इस हिस्से को हिप्पोकैंपस कहा जाता हैं, क्योंकि यह आकार में किसी दरियाई घोड़े यानी हिप्पोपोटेमस की तरह दिखता है। इस हिस्से में हमारी यादें सुरक्षित रहती हैं। लेकिन चिंता औऱ मानसिक अवसाद की अवस्था में यह हिस्सा धीरे धीरे कमजोर होने लग जाता है। ऐसे में आपकी याददाश्त स्थायी रूप से भी जा सकती है।टेंशन लेने से कम हो सकती है आपकी याददाश्त

आम तौर पर इस हिस्से में यादें सुरक्षित रहती हैं, साथ ही किसी के लिए संवेदना भी यही से उत्पन्न होती है। यह हिस्सा स्तनधारियों का उनके वातावरण को समझने में मदद करता है। इसी हिस्से के दम पर तो हम रास्तें याद रख पाते हैं। बता दे कि हिप्पोकैंपस को याददाशत के लिए जाना जाता है। तभी तो अल्जाइमर जैसे घातक रोग में इसका अहम रोल है।टेंशन लेने से कम हो सकती है आपकी याददाश्त

अल्जाइमर रोग से पीड़ित मरीजों का हिप्पोकैंपस काफी कमजोर हो जाता है। इस वजह से रोगी को कुछ भी याद नहीं रह पाता है। यह शोध यूनिवर्सिटी ऑफ टोरंटो के शोधकर्ताओं ने किया है। शोध के नतीजे बताते हैं कि हिप्पोकैंपस किस तरह से सूचनाओं को काम में लेता है। साथ ही तनाव लेना आपकी याददाशत को कम कर सकता है। यह अध्ययन करंट बायलॉजी नामक जर्नल में प्रकाशित हुआ है।

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