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15 सालों में बढ़ा पृथ्वी की सतह का तापमान, नासा ने किया दावा

जयपुर. जैसा कि हम जानते, आज के समय में गर्मी का जो स्तर है वह हर साल तेजी से बढ़ता चला जा रहा है। ये बढ़ती गर्मी हर साल अपना एक नया रिकार्ड बना रही है। इसी बढ़ती गर्मी के स्तर का आकलन करने के लिए नासा के शोधकर्ताओं ने उपग्रह के द्वारा ये जानकारी जुटाई है कि
15 सालों में बढ़ा पृथ्वी की सतह का तापमान, नासा ने किया दावा
जयपुर. जैसा कि हम जानते, आज के समय में गर्मी का जो स्तर है  वह हर साल तेजी से बढ़ता चला जा रहा है। ये बढ़ती गर्मी हर साल अपना एक नया रिकार्ड बना रही है। इसी बढ़ती गर्मी के स्तर का आकलन करने के लिए नासा के शोधकर्ताओं ने उपग्रह के द्वारा ये जानकारी जुटाई है कि बीते 15 सालों में पृथ्वी की सतह का तापमान बढ़ा है।
15 सालों में बढ़ा पृथ्वी की सतह का तापमान, नासा ने किया दावाशोधकर्ताओं के मुताबिक वर्ष 2003 से 2007 तक सेटेलाइट आधारित इन्फ्रारेड मेजरमेंट सिस्टम एआईआरएस (ऐटमॉसफेरिक इन्फ्रा रेड साउन्डर) के द्वारा प्राप्त पृथ्वी की सतह के तापमान का आकलन किया गया। शोधकर्ताओं के द्वारा जुटाई इस जानकारी को गोडार्ड इन्स्टीट्यूट फॉर स्पेस स्टडीज सरफेस टेंपरेचर एनालाइसिस (जीआईएसटीईएमपी) से मिली जानकारी से जुड़ा गया।
15 सालों में बढ़ा पृथ्वी की सतह का तापमान, नासा ने किया दावा
इसके बाद यह शोध पत्रिका इनवायरनमेंटल रिसर्च लेटर्स में प्रकाशित किया गया जँहा ये देखने को मिला कि बीते 15 सालों में जुटाई गई जानकारी के अनुसार दोनों आकडों के संग्रह के मध्य काफी समानता थी। 15 सालों में बढ़ा पृथ्वी की सतह का तापमान, नासा ने किया दावा
नासा के गोडार्ड स्पेस फ्लाइट सेंटर के जोएल सुसकिंड ने बताया कि एआईआरएस डेटा जीआईएसटीईएमपी के लिए पूरक रहा। क्योंकि जीआईएसटीईएमपी की तुलना में इसका क्षेत्र अधिक रहा और इसने सम्पुर्ण जगत को अधिकृत किया। सुसकिंड ने एक कथन में बताया कि ‘‘ आकडों के दोनों सेट से ये ज्ञात होता है कि पृथ्वी की सतह इस अवधि में गर्म हुई और 2016, 2017 और 2015 क्रम से सबसे गर्म साल रहा.’’
15 सालों में बढ़ा पृथ्वी की सतह का तापमान, नासा ने किया दावा
यदि सोचा जाये तो इस बढ़ती गर्मी का कारण कहीं न कहीं तेज रफ्तार से बढ़ता आधुनिकरण और मशीनीकरण भी रहा है क्योंकि सक्षेंप में कहे ताे मानव द्वारा निर्मित ये कल-कारखानें, आधुनिक उपकरण, प्राकृतिक ईंधन से चलने वाले वाहन और लगातार विकास के नाम पर कट  रहे इन पेड़ो कि संख्या से धरती के सतह के तापमान में वृद्धि हो रही है। ये सब विकास कि एक सीमा तक ताे ठीक है परन्तु यदि ये मनुष्य कि बढ़ती महत्वकांक्षा प्रकृति के स्वरुप की विनाश कि दिशा में इसी तरह बढ़ती रहती है, तो ये सम्पुर्ण जीव जगत के वजूद पर एक प्रश्नचिन्ह खड़ा कर देगी।

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