लगातार तकनीक के प्रयोग से क्रिकेट किस हद तक हुआ प्रभावित
जयपुर( स्पोर्ट्स डेस्क) खेलों में तकनीक का प्रयोग भी लगातार बढ़ रहा है। तकनीक का प्रभाव क्रिकेट पर भी हुआ है। वैसे देखा जाए तो क्रिकेट में इस वक्त कई ऐसे यंत्र हैं जो तकनीक से जुड़े हुए हैं फिर चाहे वह डीआरएस सिस्टम, स्टंप माइक हो, ड्रोन कैमरा और बल्ले में लगी हुई चिप , ड्रोन कैमरा हो। यह बात अलग है कि तकनीक की वजह से क्रिकेट खेल काफी सरल हुआ है फिर इससे किस हद तक नेचुरअल गेम प्रभावित हुआ इस बात पर भी हमें ध्यान देना होगा।
क्रिकेट में तकनीक का इस्तेमाल नया नहीं है पर हाल के वर्षों में इसकी तदाद बड़ी है। हमने देखा है कि बल्ले में चिप का इस्तेमाल किया जाने लगा है यही नहीं गेंद में भी चिप के प्रयोग की बात सामने आई है जिसका इस्तेमाल अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर किया जाने वाला है। ऑस्ट्रेलियाई बल्लेबाज़ डेविड वॉर्नर ने सबसे पहले अपने बल्ले चिप लगाई है जो उन्हें गेंदबाज़ से जुड़े डेटा प्रदान करती है ऐसा ही कुछ आने वाले वक्त में गेंद के साथ भी होगा जब इसमें चिप का प्रयोग किया जाने लगेगा ।हाल ही ख़बरों रही है कि स्मार्ट बॉल से क्रिकेट खेला जाएगा। जिसका अभी शुरुआत में प्रयोग किया जा रहा है।अब हमारे लिए समझने वाली बात यह है कि तकनीक नेचुरल गेम को किस हद तक खराब किया है। पहले स्टंप और मैदान तक तो तकनीक ठीक थी पर अब जब यह गेंद और बल्ले तक आ गई है तो सीधे तौर पर एक खिलाड़ी को प्रभावित करती है । कोई खिलाड़ी क्यों ना हो फिर वह चाहे गेंदबाज़ के रूप में हो या फिर बल्लेबाज़ों के रूप में अपने नेचुरल गेम से क्रिकेट में जगह पाता है जिसके लिए उसे निरंतर अभ्यास करना होता है ।एक गेंदबाज़ को अपने खेल को निखारने के लिए घंटों मेहनत करनी होती है, इसमें तकनीक किसी प्रकार का सहयोग नहीं कर सकती है। गेंद भले ही चिप लगा दी जाए पर यह गेंदबाज़ के ऊपर ही वह इसका इस्तेमाल कैसे करता है।