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बच्चों की फिटनेस और परफैक्शन के लिए सिखाएं अच्छी आदतें, अपनाएं ये फिटनेस मंत्र

बच्चों को बचपन से सिखाई जाने वाली आदतें उन्हें बडा होने तक याद रहती हैं। यह आदतें खान-पान, रहन-सहन औऱ खेल-कूद सें संबंधित हो सकती हैं। विशेषज्ञों बताते हैं कि अपने बच्चों को कभी भी घर में कैद करके नहीं रखना चाहिए। उन्हें बाहर घूमरा फिरना और अन्य बच्चों से घुलने-मिलने का मौका भी देना
बच्चों की फिटनेस और परफैक्शन के लिए सिखाएं अच्छी आदतें, अपनाएं ये फिटनेस मंत्र

बच्चों को बचपन से सिखाई जाने वाली आदतें उन्हें बडा होने तक याद रहती हैं। यह आदतें खान-पान, रहन-सहन औऱ खेल-कूद सें संबंधित हो सकती हैं। विशेषज्ञों बताते हैं कि अपने बच्चों को कभी भी घर में कैद करके नहीं रखना चाहिए। उन्हें बाहर घूमरा फिरना और अन्य बच्चों से घुलने-मिलने का मौका भी देना चाहिए। इसके अलावा उनके खाली समय को सही स्थान पर खर्च करने की सलाह दें। जैसे डांस क्लास, आर्ट क्लास और विभिन्न अन्य क्लासेस जॉइन करवाएं, क्योंकि इससे उन्हें शारिरिक और मानसिक विकास में काफी मदद मिलेगी। इसलिए बच्चों को फिटनेस और परफैक्शन प्रदान करने के लिए फिटनेस मंत्रा आपको बताने जा रहे हैं, ये सभी आपके बच्चों के स्वास्थ और आत्मविश्वास पर भी काम करते हैं-

मनपसंद एक्टीविटीज में भागीदारी

अकसर कुछ बच्चे बचपन से ही विभिन्न एक्टीविटीज में बेहतरीन प्रजदर्शन करने लगते हैं। लेकिन उनके इस प्रदर्शन को व्यर्थ नहीं जाने देना चाहिए। उनके पेरेंट्स की जिम्मेदारी होती है अपने बच्चों का मनपसंद आदतों को बेहतर बनाने में मदद करें। इससे उन्हें शारिरिक और मानसिक विकास के साथ आत्मविश्वास स्थापित करने में खास मदद हासिल होगी।

बदलावों का सम्मान करें

इंसान के जीवन की सच्चाई यही है कि बचपन पलक झपकते बीत जाता है और इसके साथ कई बदलाव उनकी जिंदगी में होने लगते हैं। इस दौरान कुछ पेरेंटेस् अपने बच्चों में होने वाले बदलावों को लेकर परेशान रहने लगते हैं। लेकिन बता दें कि उम्र के साथ बदलावों का होना लाज़मी है इसलिए उनकी पसंद और बदलावों का सम्मान करें। इससे आपके और उनके बीच फ्रैंडली नेचर बन जाएगा।

बच्चों की फिटनेस और परफैक्शन के लिए सिखाएं अच्छी आदतें, अपनाएं ये फिटनेस मंत्र

एक्सरसाइज और खेलकूद भी जरूरी

आधुनिकता के बढते दौर में अकसर बच्चों को छोटी उम्र से ही मोबाइन फोन का शौक लग जाता है। लेकिन फिजिकल एक्टीविटीज का अभाव होने पर उनका स्वास्थ प्रभावित हो सकता है। मोबाइन फोन के कारण उनकी मानसिक क्षमता प्रभावित हो सकती है। इसलिए बच्चों को सार्वजनिक तौर दूसरे बच्चों से जोडने की कोशिश करें। इससे उनका दिमाग और शरीर काम करने के लिए सक्रिय हो जाएगा।

किशोरावस्था

बचपन खत्म होते ही बच्चों का बचपना भी खत्म होने लगता है औऱ टीनेज की शुरुआत हो जाती है। इस दौरान उन्हें जिम या योगा क्लासेज जॉइन करने की सलाह दी जा सकती है। क्योंकि इसी उम्र में फिटनेस और परफैक्शन पर ध्यान देने पर उनकी शारिरिक औऱ मानसिक क्षमता आसानी से विकसित हो जाती है। इन सभी चीजों से उनकी परफैर्मेंस और आत्मविश्वास में भी बदलाव देखने को मिलता है।

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