जयपुर, दिल शरीर का सबसे खास पार्ट होता है। दिल ही एक ऐसी चीज है जो जिंदगी मे एक पल का भी ब्रेक नहीं लेता है। जब तक यह धड़क रहा है तब तक ही जिंदिगी है। नहीं तो इसके बिना जिंदगी की कल्पना भी नहीं की जा सकती है। इसिलए हमे दिल का विशेष ध्यान रखना चाहिए। कई बार कुछ शारीरिक परेशानियों की वजह से दिल की धड़कन घटती-बढ़ती रहती है। लेकिन इसको हल्के मे ना ले। क्योंकि दिल की धड़कन के घटने या बढ़ने से कई तरह की समस्याएं होने का संकेत देती है। दिल की धड़कन के कम ज्यादा होनें से शरीर मे दिल किडनी या फिर दिमाग जैसी कई परेशानियां हो सकती है।
इनएप्रोप्रीऐट साइनस टेककार्डिया – इनएप्रोप्रीऐट साइनस टेककार्डिया भी हार्ट से रिलेटेड समस्या है। टेककार्डिया, शरीर की सामान्य प्रतिक्रिया का हिस्सा हो सकता है। हालांकि अक्सर चिंता, बुखार, या फिर एक्सरसाइज के बाद हृदय की गति बढ़ जाती है। साथ ही यह समस्या अन्य कई कारणों से भी हो सकती है। जैसे थायराइड, हाइपरथाइराइ आदि,
रोग के लक्षण – टेककार्डिया दो प्रकार का होता है। साइनस टेककार्डिया एप्रोप्रीऐट साइनस टेककार्डिया और इनएप्रोप्रीऐट साइनस टेककार्डिया। आइएसटी अक्सर युवा महिलाओं में पायी जाने वाली प्रमुख समस्या है। हालांकि यह किस कारण होती है इसकी स्पष्ठ जानकारी अभी तक सामने नहीं आई है। सामान्यतया आइएसटी की समस्या 20 से 30 साल के युवाओं में देखी जाती है। इसमें दिल का तेजी के साथ धड़कना, सीने में दर्द ,थकावट और पसीने आना, हृदय गति तेज महसूस होना, हाइपरथाइराइडिज्म, वजन में कमी होना, बुखार, चिंता बनी रहना आदि इसके मुख्य लक्षण होते है।
इसलिए होती है आईएसटी – इसमें हार्ट रेट बिना किसी वजह के तेज हो जाती हैं जो 100 बीट प्रति मिनट से भी ऊपर हो जाती है। यदि किसी में इनएप्रोप्रीऐट साइनस टेककार्डिया के लक्षणों में से कोई लक्षण पाया जाता है तो 24 घंटे तक मॉनीटरिंग करके आइएसटी की पहचान की जा सकती है।
उपचार – आइएसटी के मरीज को शारीरिक श्रम नहीं करना चाहिए। बता दें कि इसका उपचार लंबे समय तक चलता है। आइएसटी का उपचार दवाईयों के द्वारा या ओपन हार्ट सर्जरी के द्वारा किया जाता है। हालांकि अधिकतर मामलों में यह समस्या दवाई से ही ठीक हो जाती है। इसलिए अपने शरीर का परिक्षण करके तुरंत चिकित्सक से सलाह ले।
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