हिंदी की सिर्फ 7 फिल्में कर ये अभिनेत्री बनी थी सबसे सफल, राजकपूर भी झुकते थे इनके आगे
आज बॉलीवुड की मशहूर और दिग्गज अदाकारा सुचित्रा सेन का जन्मदिन हैं। आज वो हमारे बीच तो नहीं है लेकिन वो अपनी फिल्मों के माध्यम से हमेशा फैंस के दिलों में मौजूद रहेंगी। सुचित्रा सेन अपने समय की ऐसी अदाकारा थी जिनकी अदायगी के चर्चे दूर तलक हुआ करते थे। इतना ही नहीं उनकी अदायगी के तो अभिनेता दिलीप कुमार भी कायल थे। आज हम उनके जन्मदिन पर उनकी कुछ खास बाते बताने जा रहे हैं। सुचित्रा सेन का जन्म 6 अप्रैल 1931 को पवना अब बांग्लादेश में हुआ था। सुचित्रा सेन का असली नाम रोमा दासगुप्ता था लेकिन बॉलीवुड में वो सुचित्रा सेन के नाम से मशहूर हुई। सुचित्रा सेन ने अपने अभिनय करियर की शुरूआत साल 1952 में आई फिल्म शेष कोथाय से किया था। भारतीय फिल्मों में एक बेहतर मुकाम हासिल कर चुकी सुचित्रा सेन ने विदेश में भी अपनी पहचान बनाई, ये पहली ऐसी अदाकारा है जिनको किसी इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल में अवॉर्ड से नवाजा गया था।
सुचित्रा सेन ने बॉलीवुड में अपना सफर दिलीप कुमार के साथ फिल्म देवदास से किया था जिसका निर्देशन बिमल राय ने किया था फिल्म साल 1955 में रिलीज हुई थी। फिल्म में सुचित्रा सेन ने पारो का किरदार निभाया था। आपको बता दें कि फिल्म के लिए बिमल राय की पहली पसंद सुचित्रा नहीं बल्कि मीना कुमारी थी लेकिन वो उस वक्त अपनी कई फिल्मों में ज्यादा बिजी थी इसलिए उन्होंने इसे करने से इंकार कर दिया था इसके बाद बिमल राय अभिनेत्री मधुबाला के पास गए लेकिन उस वक्त दिलीप कुमार और मुधबाला के बीच कुछ खटपट थी। इसलिए बात नहीं बन पाई और इस तरह देवदास फिल्म सुचित्रा सेन को मिल गई। फिल्म में उनके अभिनय को हर किसी ने सराहा।सुचित्रा सेन को कई अवॉर्ड से भी नवाजा गया था। उनकी फिल्म सात पाके बांधा सुपरहिट फिल्मों में से एक हैं। इसके लिए उनको मास्को फिल्म फेस्टिवल में सर्वश्रेष्ठ फिल्म एक्ट्रेस के पुरस्कार से सम्मानित किया गया था फिल्म इंडस्ट्री के इतिहास में पहला मौका था जब किसी भारतीय अभिनेत्री को विदेश में पुरस्कार मिला था। आपको जानकर हैरानी होगी कि उन्होंने सिर्फ 7 हिंदी फिल्मों में काम किया था। इसके बाद भी वो बॉलीवुड का एक बड़ा नाम थी।