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ऐसे लोगो के होते हैं हाथ पैर ठंडे

शनि पर्वत अविकसित होने पर मनुष्य एकांतप्रिय होने के साथ अपने कार्यों और लक्ष्य में इतना तनमय हो जाता हैं कि उन्हें गृहस्थी की चिंता नहीं रहती हैं उनके शरीर में रक्त वितरण कमजोर हो जाता हैं उनके हाथ पैर ठंडे रहते हैं और दांत भी कमजोर होने लगते हैं। ज्योतिष के मुताबिक ऐसे लोगो की दुर्घटना में अधिकतर अने पैरों और नीचे के अंगो में चोट लगती हैं वही ये अधिकतर निर्बल स्वास्थ्य के होते हैं वही अगर हृदय रेखा भी जंजीरनुमा हो तो मनुष्य की वाहन दुर्घटना में मृत्यु भी हो जाती हैं
ऐसे लोगो के होते हैं हाथ पैर ठंडे

आपको बता दें, कि हर व्यक्ति के जीवन में ज्योतिष शास्त्र का विशेष महत्व होता हैं, वही शनि पर्वत अविकसित होने पर मनुष्य एकांतप्रिय होने के साथ अपने कार्यों और लक्ष्य में इतना तनमय हो जाता हैं कि उन्हें गृहस्थी की चिंता नहीं रहती हैं उनके शरीर में रक्त वितरण कमजोर हो जाता हैं उनके हाथ पैर ठंडे रहते हैं और दांत भी कमजोर होने लगते हैं।ऐसे लोगो के होते हैं हाथ पैर ठंडे वही ज्योतिष के मुताबिक ऐसे लोगो की दुर्घटना में अधिकतर अने पैरों और नीचे के अंगो में चोट लगती हैं वही ये अधिकतर निर्बल स्वास्थ्य के होते हैं वही अगर हृदय रेखा भी जंजीरनुमा हो तो मनुष्य की वाहन दुर्घटना में मृत्यु भी हो जाती हैं मगर यह पर्वत अनुकूल स्थिति में हो तो सुरक्षा, संपत्ति, प्रभाव और पद प्रतिष्ठा प्रदान करता हैं वही अगर इस पर्वत पर त्रिकोण जैसी कोई आकृति होती हैं, तो मनुष्य गुप्त विद्या में रुचि, विज्ञान, अनुसंधान, ज्योतिष और तंत्रमंत्र में बहुत अधिक रुचि रखता हैं।ऐसे लोगो के होते हैं हाथ पैर ठंडे

वही शनि के क्षेत्र पर भाग्य रेखा कही जाने वाली शनि रेखा समाप्त होती हैं इस पर शनिवलय भी पायी जाती हैं और शुक्रवलय इस पर्वत को घेरती हुई निकलती हैं इसके अतिरिक्त हृदय रेखा इसकी निचली सीमा को छूती हैं इन महत्वपूर्ण रेखाओं के अतिरिक्त इस पर्वत पर एक रेखा सौभाग्य सूचक होती हैं ऐसे लोगो के होते हैं हाथ पैर ठंडेवही यह मान सम्मान दिलाने वाली भी मानी जाती हैं। ज्योतिष के मुताबिक अगर रेखाएं गुरु पर्वत की ओर जा रही हो तो मनुष्य को सार्वजनिक सम्मान प्राप्त होता हैं इस पर्वत पर बिन्दु जहां दुर्घटना का सूचक माना जाता हैं वही क्रास मनुष्य को संतति उत्पादन क्षमता से विहीन करता हैं।ऐसे लोगो के होते हैं हाथ पैर ठंडे

शनि पर्वत अविकसित होने पर मनुष्य एकांतप्रिय होने के साथ अपने कार्यों और लक्ष्य में इतना तनमय हो जाता हैं कि उन्हें गृहस्थी की चिंता नहीं रहती हैं उनके शरीर में रक्त वितरण कमजोर हो जाता हैं उनके हाथ पैर ठंडे रहते हैं और दांत भी कमजोर होने लगते हैं। ज्योतिष के मुताबिक ऐसे लोगो की दुर्घटना में अधिकतर अने पैरों और नीचे के अंगो में चोट लगती हैं वही ये अधिकतर निर्बल स्वास्थ्य के होते हैं वही अगर हृदय रेखा भी जंजीरनुमा हो तो मनुष्य की वाहन दुर्घटना में मृत्यु भी हो जाती हैं ऐसे लोगो के होते हैं हाथ पैर ठंडे

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