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श्रीकृष्ण की मित्रता से सीखे उनके व्यक्तित्व का गुण

अर्जुन और भगवान कृष्ण से जुड़े कई सारे प्रसंग महाभारत में मिलते हैं कृष्ण कुंती को बुआ कहते थे। मगर उन्होंने हमेशा ही अर्जुन को मित्र माना। कुरुक्षेत्र की रणभूमि पर श्रीकृष्ण अर्जुन के सारथी बनकर उन्हें सच्चाई पर चलते हुए न्याययुद्ध का पाठ पढ़ाया जिसकी वजह से अर्जुन में युद्ध करने का साहस आया।
श्रीकृष्ण की मित्रता से सीखे उनके व्यक्तित्व का गुण

भगवान कृष्ण की लीलाओं के बारे में कौन नहीं जानता हैं उनकी हर लीला व्यक्ति के लिए आर्दश जीवन जीने की सीख प्रदान करती हैं। आधुनिक युग में अगर किसी प्रभावशाली व्यक्तित्व के बारे में बात करते हैं तो श्रीकृष्ण ऐसा नाम हैं जिन्हें आराध्य होने के साथ जननायक भी कहा जाता हैं श्रीकृष्ण की मित्रता से सीखे उनके व्यक्तित्व का गुणमहाभारत ​के प्रसंग को समझेंगे, तो आप जानेंगे कि भगवान कृष्ण अपने समय से कही अधिक आधुनिक थे। महिला सशक्तिकरण से लेकर अन्याय के विरुद्ध कमजोर वर्गों की आवाज उठाने को भगवान कृष्ण ने ​केवल सराहा ही नहीं बल्कि उनका मार्गदर्शन भी किया। वही आज हम आपको भगवान कृष्ण के मित्रों के साथ उनके रिश्ते को बताएंगे, जिससे उनके व्यक्तित्व को समझा जा सकता हैं तो आइए जानते हैं।श्रीकृष्ण की मित्रता से सीखे उनके व्यक्तित्व का गुण

अर्जुन और भगवान कृष्ण से जुड़े कई सारे प्रसंग महाभारत में मिलते हैं कृष्ण कुंती को बुआ कहते थे। मगर उन्होंने हमेशा ही अर्जुन को मित्र माना। कुरुक्षेत्र की रणभूमि पर श्रीकृष्ण अर्जुन के सारथी बनकर उन्हें सच्चाई पर चलते हुए न्यायुद्ध का पाठ पढ़ाया जिसकी वजह से अर्जुन में युद्ध करने का साहस आया। उन्होंने हर विपदा में अर्जुन का साथ दिया यानी की अपने मित्र को प्रोत्साहित करना चाहिए। श्रीकृष्ण की मित्रता से सीखे उनके व्यक्तित्व का गुणवही महाभारत में द्रौपदी के चीरहरण के निंदनीय प्रसंग के बारे में तो सभी जानते होंगे। इस दौरान जब सभी महायोद्धा मौन हो गए थे तो भगवान कृष्ण ने वहां उपस्थित न होते हुए भी द्रौपदी का चीरहरण होने से बचा लिया। इस घटना से हम सीख सकते हैं कि विपदा में कभी भी किसी तरह का बहाना न बनाते हुए अपने मित्र की सहायता करनी चाहिए। यह बहुत ही जरूरी भी माना जाता हैं।श्रीकृष्ण की मित्रता से सीखे उनके व्यक्तित्व का गुण

अर्जुन और भगवान कृष्ण से जुड़े कई सारे प्रसंग महाभारत में मिलते हैं कृष्ण कुंती को बुआ कहते थे। मगर उन्होंने हमेशा ही अर्जुन को मित्र माना। कुरुक्षेत्र की रणभूमि पर श्रीकृष्ण अर्जुन के सारथी बनकर उन्हें सच्चाई पर चलते हुए न्याययुद्ध का पाठ पढ़ाया जिसकी वजह से अर्जुन में युद्ध करने का साहस आया। श्रीकृष्ण की मित्रता से सीखे उनके व्यक्तित्व का गुण

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