Samachar Nama
×

इन खतरनाक स्तरों से गुजर कर तारा करता है अपनी मौत को प्राप्त

जयपुर। जिस तरह से एक तारे का जन्म होता है उसी तरह से एक तारे का अंत भी होता है मतलब की तारे की मौत भी होती है। जी हां ब्रह्मांड में एक नियम बहुत ही कठोर है कि जो इस दुनिया में आया है उसका अंत निश्चित है। जिस तरह से वो बनता है
इन खतरनाक स्तरों से गुजर कर तारा करता है अपनी मौत को प्राप्त

जयपुर। जिस तरह से एक तारे का जन्म होता है उसी तरह से एक तारे का अंत भी होता है मतलब की तारे की मौत भी होती है। जी हां ब्रह्मांड में एक नियम बहुत ही कठोर है कि जो इस दुनिया में आया है उसका अंत निश्चित है। जिस तरह से वो बनता है उसी तरह से उसका अंत भी होता है। आपको बता दे कि जो तारा  मरने की कगार पर आता है तो वो तारा अपनी बाहरी परतों का झाड़ कर एक ग्रहीय निहारिका में तबदील हो जाता है और बचा हुआ तारा यदि सूर्य के द्रव्यमान के 1.4 गुणा से कम होता हैइन खतरनाक स्तरों से गुजर कर तारा करता है अपनी मौत को प्राप्त

तो वह श्वेत वामन तारा बन जाता है जिसका आकार लगभग धरती आकार के बराबर होता है जो कि धीरे धीरे मंद होते हुये काले वामन तारे के रूप में मोक्ष को प्राप्त होता है। और जो तारे सूर्य के द्र्व्यमान से 1.4 गुणा से ज्यादा भारी तारे होते है वो खुद के द्र्व्यमान को नियंत्रित नहीं कर पाते है। इनका केन्द्र अचानक संकुचित हो कर एक महा विस्फोट करता है, जिसे वैज्ञानिक सुपरनोवा कहते है। आपको बता दे कि सुपरनोवा इतने चमकदार होते है कि कभी कभी इन्हें दिन मे भी आसानी से देखा गया है।इन खतरनाक स्तरों से गुजर कर तारा करता है अपनी मौत को प्राप्त

और यही सुपरनोवा विस्फोट मे फेंके गये पदार्थ आगे जाकर निहारिका बनते है। कर्क निहारिका इसका सबसे बड़ा उदाहरण माना जाता है। इसी तरह कई स्तरों पर इसकी मौत होती है अंत बचा हुआ तारा न्युट्रान तारा बन जाता है। बता दे कुछ न्युट्रान तारे पल्सर तारे होते है। अंत में यदि बचे हुये तारे का द्रव्यमान 4 सूर्य के द्र्व्यमान से ज्यादा हो तो वह एक ब्लैक होल मे बदल जाता है। और इन स्तरों से गुजर कर एक तारा आपनी मौत को प्राप्त करता है।इन खतरनाक स्तरों से गुजर कर तारा करता है अपनी मौत को प्राप्त

Share this story