जानिए हिंदू धर्म में वसंत ऋतु का क्या है महत्व
वैसे तों हिंदू धर्म में सभी ऋतुओं का महत्व बताया गया हैं मगर वसंत ऋतु विशेष मानी जाती हैं मौसम प्रकृति के बदलाव का एहसास कराता हैं हर बदलती हुई ऋतु अपने साथ एक नया संदेश लेकर आती हैं वही भारत देश की प्रकृति के मुताबिक कुल 6 ऋतुएं प्रमुख मानी जाती हैं हेमंत ऋतु, शिशिर ऋतु, वसंत ऋतु, ग्रीष्म ऋतु, वर्षा व शरद ऋतु। इनमें वसंत को सबका राजा माना जाता हैं। वही वसंत को ऋतुओं का राजा कहने के पीछे कई सारे कारण बताए गए हैं जैसे फसल तैयार रहने से उल्लास और खुशी के पर्व, मंगल कार्य, विवाह, सुहाना मौसम, आम की मोहनी खुशबू, कोयल की कूक सब मिलकर अनुकूल समां बाधते हैं यही वजह हैं कि वसंत ऋतु को ऋतुराज कहा जाता हैं।
वही वसंत को ऋतुओं का राजा इसलिए भी कहा गया हैं क्योंकि इस ऋतु में धरती की उर्वरा शक्ति यानी की उत्पादन क्षमता अन्य ऋतुओं की अपेक्ष अधिक बढ़ जाती हैं यही कारण हैं कि भगवान कृष्ण ने गीता में स्वयं को ऋतुओं में वसंत कहा हैं वे सभी देवताओं और परम शक्तियों में सबसे ऊपर हैं। वैसे तो बसंत ऋतु भी सभी ऋतुओं में श्रेष्ठ मानी जाती हैं।
जानिए उत्पत्ति की कथा—
बता दें कि अंधकासुर नाम का एक राक्षस का वध केवल भगवान शिव के पुत्र से ही संभव था। तो शिवपुत्र कैसे उत्पनन हो तब इसके लिए कामदेव के कहने पर ब्रह्माजी की योजना के मुताबिक वसंत को उत्पन्न किया गया था। ब्रह्मा जी ने शक्ति की स्तुति की उसके बाद देवी सरस्वती प्रकट हुई ब्रह्मा और देवी सरस्वती ने सृष्टि सृजन किया। इसलिए वसंत में नए पेड़ पौधे उगते हैं उनमें लगने वाले पुष्पों में कामदेव को स्थान दिया गया।