सोशल मीडिया खुशी का नहीं बल्कि कई घरों में बन रहा है मातम का कारण
जयपुर । सोशल मीडिया का निर्माण किया गया था ताकि हमारे दूर बैठे हमारे अपने हमको पास लगें । वह दूरी कम हो सच्चाई में तय नहीं कर सकते उसको वर्चुअल दुनिया में कम किया जा सके । सोशल मीडिया ने जितनी तरक्की की है जितना अच्छा करने की सोची है उससे कई ज्यादा इसने लोगों के लिए परेशानी खड़ी कर दी है ।
जो भी लोग आज सोशल मीडिया से जुड़े हुए हैं उनमे से ज़्यादातर लोग तनाव का शिकार रहते हैं । तनाव के कारण लोग अवसाद के भी शिकार रहते है । पर यह बात कोई नही जानता है की यह दोनों कारण ही व्यक्तियों में आत्महत्या का कारण बन जाता है और सोशल मीडिया उसमें आग में घी का काम कर रहा है ।
सोशल मीडिया के इस्तेमाल और इससे पैदा होनेवाली खुदकुशी की प्रवृत्ति के रोकथाम पर काम करने की जरूरत है। सूइसाइड को रोकने के लिए सोशल मीडिया का इस्तेमाल आर्टिफिशल इंटेलिजेंस के तौर पर करने की जरूरत है, ताकि समय पर ऐसे लोगों के बारे में पता कर सकें। उनकी काउन्सलिन्ग करके उनकी जान बचा सकें। देश की 1 लाख आबादी में 10 लोग सूइसाइड करते हैं।
सबसे चिंता की बात यह है कि अधिकांश सूइसाइड के मामले 20 से 40 साल की उम्र के लोग होते हैं। उन्होंने कहा कि सोशल मीडिया इसका बहुत बड़ा कारण बनता जा रहा है। इसकी लत लोगों को स्ट्रेस में धकेल देता है। इसलिए हमें सोशल मीडिया की वजह से बढ़ते सूइसाइड के मामलों को रोकने पर काम करना होगा।