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तो आज का मानव धरती से ब्रह्मांड में लगा रहा है छलांग

जयपुर। शनि ग्रह के समीप से 1990 मे वायेजर अंतरिक्ष यान द्वारा ली गई पृथ्वी की विश्वप्रसिद्ध तस्वीर पेल ब्ल्यु डाट के संदर्भ मे था। सन 1990 से लेकर अब तक अंतरिक्ष विज्ञान मे कई तरह की क्रांतिकारी परिवर्तन आये है। क्या हम पृथ्वी के बाहर किसी अन्य ग्रह पर जा सकते है ? क्या
तो आज का मानव धरती से ब्रह्मांड में लगा रहा है छलांग

जयपुर। शनि ग्रह के समीप से 1990 मे वायेजर अंतरिक्ष यान द्वारा ली गई पृथ्वी की विश्वप्रसिद्ध तस्वीर पेल ब्ल्यु डाट के संदर्भ मे था। सन 1990 से लेकर अब तक अंतरिक्ष विज्ञान  मे कई तरह की क्रांतिकारी परिवर्तन आये है। क्या हम पृथ्वी के बाहर किसी अन्य ग्रह पर जा सकते है ? क्या मानवता का अस्तित्व पृथ्वी के बाहर संभव है ? इन सवालों का जवाब आप इस समय में दे सकते हो और इसका कारण है आधुनिक तकनीक। जी हां इंसानों ने ऐसी तकनीक का इजात कर लिया है जिसकी मदद से अंतरिक्ष में आसानी से रहा सकते हैतो आज का मानव धरती से ब्रह्मांड में लगा रहा है छलांग

और इंसनों को भी वहां रख सकते है। इसके लिए वैज्ञानिक कई तरह के प्रयोग कर रहे है ताकि वहां किसी प्रकार की कोई तकलीफ ना हो। और तो और इंसान सौरमंडल ही नहीं पूरे ब्रह्मांड में अपनी नजर गड़ाये हुये है और ब्रह्मांड के बाहर भी जीवन की खोज कर रहा है। तो इस स्थिति को देख ते हुये तो लगता है कि मानवता ब्रह्मांड में बहुत ही जल्दी आपना वजूद बना लेगा। लाख वर्ष का इतिहास है लेकिन मानव पहली बार पृथ्वी के बाहर कदम पिछली सदी मे ही रखा है, यह क्षण 12 अप्रैल 1961 को आया थातो आज का मानव धरती से ब्रह्मांड में लगा रहा है छलांग

जब रूसी अंतरिक्ष यात्री युरी गागारीन अंतरिक्ष मे पहुंचे थे और इसी तरह से मानवता की इस यात्रा का दूसरा पड़ाव 10 जुलाई 1969 को  आया था, जब नील आर्मस्ट्रांग ने चंद्रमा कदम पर रखे थे। यह साले अंतरिक्ष युग का आरंभ था और आज का माहौल देखा जाये तो अंतरिक्ष विज्ञान बहुत आगे जा चुके है इसी तरह से मानव निर्मित यान वायेजर युग्म यान तो सौर मंडल के बाहर जा चुके है। यह इस बात का सबूत देते है कि मानव कि यह पीढ़ी बुहत ही तकनीकी है और कुछ भी कर गुजर सकती है।तो आज का मानव धरती से ब्रह्मांड में लगा रहा है छलांग

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