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तो ये तकनीक हमारे दिमाग को पासवर्ड की तरह कर सकती है इस्तेमाल

जयपुर। दुनिया सारी की सारी डिजिटल हो चुकी है। हर काम कम्प्यूटर किया जाता है। और की प्राइवासी रखने के लिए पासवर्व का इस्तेमाल किया जाता है। जैसा हम जानते है कि किसी भी इलेक्ट्रॉनिक सिस्टम की सुरक्षा के लिये एक पासवर्ड का प्रयोग किया जाता है और ये पासवर्ड अल्फान्यूमेरिक, फिंगर प्रिंट या फिर
तो ये तकनीक हमारे दिमाग को पासवर्ड की तरह कर सकती है इस्तेमाल

जयपुर। दुनिया सारी की सारी डिजिटल हो चुकी है। हर काम कम्प्यूटर किया जाता है। और की प्राइवासी रखने के लिए पासवर्व का इस्तेमाल किया जाता है। जैसा हम जानते है कि किसी भी इलेक्ट्रॉनिक सिस्टम की सुरक्षा के लिये एक पासवर्ड का प्रयोग किया जाता है और ये पासवर्ड अल्फान्यूमेरिक, फिंगर प्रिंट या फिर फिर आँखों की पुतलियों के रूप में भी हो सकता है। लेकिन जितनी जल्दी नई सुरक्षा तकनीक विकसित की जाती है, उतनी ही जल्दी उसका तोड़ भी तलाश लिया जाता है। कंप्यूटर हैकर एक क्ल्यू से हर तरह के पासवर्ड को तोड़ देते है।तो ये तकनीक हमारे दिमाग को पासवर्ड की तरह कर सकती है इस्तेमाल

आपको बता दे कि पासवर्ड को सुरक्षित रख पाना कंप्यूटर वैज्ञानिकों के लिये एक टेढी खीर साबित हो रहा है तो हैकर्स से इनको बचाने के लिए वैज्ञानिकों ने नया तोड़ निकाला है। वैज्ञानिकों ने साइबर सुरक्षा के लिये अब मनुष्य के दिमाग का सहारा लिया है। आपको जानकारी दे दे कि न्यूयॉर्क की बिंघमटन स्टेट यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने पासवर्ड को दिमाग से जोड़े जाने संबंधी पर काम करना शुरू कर दिया है।तो ये तकनीक हमारे दिमाग को पासवर्ड की तरह कर सकती है इस्तेमाल

वैज्ञानिकों ने बताया कि एक ऐसा बायोमेट्रिक सिस्टम विकसित करना चाह रहे हैं, जो पासवर्ड के रूप में मानव मस्तिष्क का इस्तेमाल कर पाये। लेकिन  इससे पहले दिमाग को पासवर्ड के रूप में इस्तेमाल करने के लिये एक सफल बायोमेट्रिक सिस्टम बनाना होगा, जो इतना आसान कार्य है। आपको तो पता ही होगा कि ऊंगलियों तथा आँखों की पुतलियों वाले सुरक्षा सिस्टम में भी कई प्रकार से सेंध लगाई जाती है। लेकिन इससे कोई बू चालाकी नहीं कर सकता है। वैज्ञानिकों ने इसके बारे में जानकारी दी कि इस नये सिस्टम को ब्रेनप्रिंट होगा और मापने के लिये ईईजी तकनीक का सहारा लिया।तो ये तकनीक हमारे दिमाग को पासवर्ड की तरह कर सकती है इस्तेमाल

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