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तस्वीर में कैद हुआ एक तारे से ग्रह का निर्माण

जयपुर। सितारों के आगे मालूम नहीं कितने ही जहान मौजूद हैं जो हमारी दुनिया से बिल्कुल अलग हैं। अंतरिक्ष की अनंत गहराइयों के राज उजागर करने में जुटे हुए वैज्ञानिकों ने हाल ही में एक ऐसी घटना कैमरे में कैद की हैं जिसे दुर्लभ घटना का दर्जा दिया जाता है। हालांकि ब्रह्माण्ड के अनंत रहस्य
तस्वीर में कैद हुआ एक तारे से ग्रह का निर्माण

जयपुर। सितारों के आगे मालूम नहीं कितने ही जहान मौजूद हैं जो हमारी दुनिया से बिल्कुल अलग हैं। अंतरिक्ष की अनंत गहराइयों के राज उजागर करने में जुटे हुए वैज्ञानिकों ने हाल ही में एक ऐसी घटना कैमरे में कैद की हैं जिसे दुर्लभ घटना का दर्जा दिया जाता है। हालांकि ब्रह्माण्ड के अनंत रहस्य आज भी बिल्कुल उसी तरह नयापन लिए हुए हैं, जैसे इंसान के चांद पर कदम रखते वक्त हुआ करते थे। वैज्ञानिकों ने पहली बार किसी तारे से एक ग्रह निर्माण की दुर्लभ प्रक्रिया को कैमरे में कैद किया हैं।तस्वीर में कैद हुआ एक तारे से ग्रह का निर्माण
तस्वीर में कैद हुआ एक तारे से ग्रह का निर्माण

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जी हां, पहली बार किसी विशाल तारे को धीरे-धीरे एक ग्रह में तब्दील होता सारी दुनिया देख पाएगी। दरअसल खगोलविदों ने पहली बार पृथ्वी से करीबन 450 प्रकाश वर्ष की दूरी पर स्थित एक तारे के दरमियान बन रहे एक ग्रह की दुर्लभतम तस्वीरों को अपने अंतरिक्ष यान के कैमरे में कैद कर लिया हैं। यह करिश्मा अमेरिका के एरिजोना विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने कर दिखाया हैं।तस्वीर में कैद हुआ एक तारे से ग्रह का निर्माण

इस तारे का नामकरण एलकेसीए 15 किया गया है। इन तस्वीरों को गौर से देखने पर पता चलता हैं कि तारे की डिस्क की दरार में बन रहे एक ग्रह की पूरी निर्माण प्रक्रिया कई सारी तस्वीरों को एक के बाद एक देखने पर मालूम चलती हैं। हालांकि पृथ्वी से डिस्क की दूरी बहुत ही ज्यादा होने की वजह से ज्यादातर तस्वीरें साफ नहीं आ पाई हैं। क्योंकि उस तारे पर गैस व धूल से भरे वायुमंडल होने की वजह से फोटो लेने में काफी दिक्कतें पेश आई।तस्वीर में कैद हुआ एक तारे से ग्रह का निर्माण

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मगर इन सब कठिनाइयों के बावजूद शोधकर्ताओं ने जैसे तैसे करके कुछ उम्दा तस्वीरें तो ले ही ली। ऐसा पहली बार हुआ है कि एक तारे से ग्रह बनने के दुर्लभ नज़ारे की तस्वीर मिल पाई है। गौरतलब है कि एलकेसीए 15 एक नया तारा है, जिसके आसपास एक परिवर्तनीय डिस्क है। यही डिस्क इस नये ग्रह की माता है। यानी के यही पर ग्रह का जन्म हो रहा है। शोध का नेतृत्व करने वाले एरिजोना विश्वविद्यालय के स्नातक छात्र स्टेफ सेलम इसकी तुलना किसी शिशु की तरह करते हैं जो धीरे-धीरे विकसित हो रहा है। यह अनुसंधान नेचर नामक जर्नल में प्रकाशित किया गया है।

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