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तो इस तरह से होता है इस तारे का जन्म, जानियें रोचक तथ्य

जयपुर। आसमान में टिमटिमाते तारों को हम रोज देखते है। इनको देखते ही कई तरह के सवाल भी मन में आते है। सबसे पहले सवाल तो यह आता है कि इतने सारे तारे आसमान में कैसे लटके हुये है? और दूसरा सवाल है कि चमकते कैसे हैं? इसके बाद तो सवाल आता है वो यह
तो इस तरह से होता है इस तारे का जन्म, जानियें रोचक तथ्य

जयपुर। आसमान में टिमटिमाते तारों को हम रोज देखते है। इनको देखते ही कई तरह के सवाल भी मन में आते है। सबसे पहले सवाल तो यह आता है कि इतने सारे तारे आसमान में कैसे लटके हुये है?  और दूसरा सवाल है कि चमकते कैसे हैं? इसके बाद तो सवाल आता है वो यह है कि ये बनते कैसे है यानी इनका जन्म कैसे होता है? इन सारे सवालों के हम जवाब आपको दे देते हैं पहला का जबाव यह है कि अंतरिक्ष में कई गुरूत्वाकर्षण बल शून्य के बराबर है। ग्रहों के अंदर तो गुरूत्वाकर्षण बल है लेकिन जिस जगह यानी ब्रह्मांड में वो रहते हैतो इस तरह से होता है इस तारे का जन्म, जानियें रोचक तथ्य

उसमें गुरूत्वाकर्षण बल नहीं है इसी कारण से यह ऐसे ही विचरन करते है। लेकिन गिरते नहीं है आपको बता दे कि हम भी बिना गुरूत्वाकर्षण बल में रहते है लेकिन धरती ग्रह के अंदर गुरूत्वाकर्षण बल है जो हमें इससे बांधे रखती है। दूसरे का जवाब होगा कि तारों के अंदर कई तरह की क्रियायें होती रहती है जैसे हाइड्रोजन संलयन जो बहुत ही तेज ऊर्जा उत्सर्जित करते है जिसके कारण यह चमकत हुये दिखाई देते हैं। और अंतिम सवाल का जवाब है कि तारों का जन्म अंतरिक्ष में निहारिका में होता है।  बता दे कि ये निहारिकायें  गैस और धूल का विशालकाय बादल होती हैतो इस तरह से होता है इस तारे का जन्म, जानियें रोचक तथ्य

और इनमें अधिकतर हायड्रोजन, 23-28% हीलियम और कुछ मात्रा में भारी तत्व होते है। निहारीका सितारों के जन्म की पहली स्थिति होता है। इसके बाद धूल और गैस के बादल इंतजार सुपरनोवा से उत्पन्न लहर का इंतजार करते है। इस तरह की प्रक्रिया में बहुत ही वक्त लगता है जैसे हजारों लाखों वर्ष है। इसी तरह से निहारिका में धूल और गैस के कण एक जगह पर संघनित होते है। जब तक की वह एक महाकाय आकार नहीं ले लेता हैं। जब इस तरह से यह आकार लेता है तो एक तारा बन जाता है।तो इस तरह से होता है इस तारे का जन्म, जानियें रोचक तथ्य

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