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तो जलवायु परिवर्तन का धरती पर शुरू हो चुका है आखरी पड़ाव

जयपुर। जलवायु परिवर्तन के विनाशक आँखे खोल कर देखा रही है और धरती को अपने आगोश में लेने के लिए अपनी सारी बांहे खोल रही है। इसकी छुअन हम महसूस कर सकते है। जलवायु परिवर्तन और ग्लोबल वॉर्मिंग के कारण दुनिया ऐसे मोड़ पर पहुंच रही है जो कि नहीं पहुंचनी चाहीए। हमें पीछे लौटना
तो जलवायु परिवर्तन का धरती पर शुरू हो चुका है आखरी पड़ाव

जयपुर।  जलवायु परिवर्तन के विनाशक आँखे खोल कर देखा रही है और धरती को अपने आगोश में लेने के लिए अपनी सारी बांहे खोल रही है। इसकी छुअन हम महसूस कर सकते है। जलवायु परिवर्तन और ग्लोबल वॉर्मिंग के कारण दुनिया ऐसे मोड़ पर पहुंच रही है जो कि नहीं पहुंचनी चाहीए। हमें पीछे लौटना होगा गलतीयों को सुधारना होगा। जितना मुमकिन हो सके उतना ही इसे बदलने कि कोशिश करनी होगी। किये गये शोध के मुताबिक दुनिया ऐसे पड़ाव पर पहुंच रही हैतो जलवायु परिवर्तन का धरती पर शुरू हो चुका है आखरी पड़ाव

जो खतरनाक और विनाशक नतीजे  दे  सकते है। इसे रोक पाना असंभव जाएगा। यूनिवर्सिटी ऑफ वॉशिंगटन ने इस पर कई शोध किये है और पाया कि कार्बन गैसों के उत्सर्जन को घटाने की चाहे कितनी भी कोशिश कर ली जाए, लेकिन 90 % संभावना यही रहेगी कि इस सदी के अंत तक दुनिया का तापमान 2 डिग्री सेल्सियस तक बढ़कर 4.9 सेल्सियस हो जाएगा। और दुनिया तबाह होने की कगार पर आ जायेगी। शोधकर्ताओं का मानना है कि इसके बाद से ही धरती को जलवायु परिवर्तन के बेहद घातक और विनाशकारी परिणामों से बचा पाना असंभव हो जाएगा।तो जलवायु परिवर्तन का धरती पर शुरू हो चुका है आखरी पड़ाव

दुनिया में सूखा और तापमान का स्तर बढ़ता ही जायेगा। धरती समुद्र में समा जायेगी इंसानों का नामों निशान मिट जायेगा। अभी वक्त है धरती को संवारने का लेकिन लोगों का ध्यान पता नहीं कहां है। हर एजेंसीयां इंसान को अंतरिक्ष में ले जायेंगी लेकीन धरती के वो सारे जीव नहीं ले जा सकती है। और ना ही पूरे इंसानों को ले जा सकती है। अंतरिक्ष में वही लोग जा सकते है जिनके पास बहुत सारा पैसा है। और गरीब लोगों के पास इतना पैसा नहीं है कि वो इन एजेंसीयों को दे सकेंतो जलवायु परिवर्तन का धरती पर शुरू हो चुका है आखरी पड़ाव

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