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तो किस तरह से समय कि यात्रा इस दुनिया में शुरू हुई

जयपुर। आप पेरिस से जिनेवा जा रहे है तो आप पूरी तरह से पेरिस के समय पर ही जी रहे है क्योंकि आपने पेरिस से यात्रा शुरू की है अगर आप इसके विपरीत यात्रा करते है तब आप जिनेवा के समय पर जीते है। यदि दोनों शहरो के समय में अंतर न किया जाय तो
तो किस तरह से समय कि यात्रा इस दुनिया में शुरू हुई

जयपुर। आप पेरिस से जिनेवा जा रहे है तो आप पूरी तरह से पेरिस के समय पर ही जी रहे है क्योंकि आपने पेरिस से यात्रा शुरू की है अगर आप इसके विपरीत यात्रा करते है तब आप जिनेवा के समय पर जीते है। यदि दोनों शहरो के समय में अंतर न किया जाय तो आपमें भ्रम उत्पन्न हो जायेगा। इसी तरह से भ्रम होने लगा तब जाकर लंबी दुरी पर स्थित घड़ियों में समन्वय स्थापित करने की आवश्यकता एक बड़ी समस्या बनकर उभरी। इस समस्या को दूर करने के लिए लोगों को सिक्रनाइज घड़ियों की आवश्यकता महसूस हुई और इस समय से ही आधुनिक समय की कहानी शुरू हो गयी।तो किस तरह से समय कि यात्रा इस दुनिया में शुरू हुई

इस समय में युवा भौतिकविज्ञानी अल्बर्ट आइंस्टीन बर्न के एक पेटेंट से पता चला की टेलीग्राफ संकेतो के आदान-प्रदान के लिए घड़ियों को सिक्रनाइज करने के लिए नए और रोमांचक तरीके उपयोग किया जा सकता है। और इस समस्या से मुक्ति पाई जा सकती है इन्होंने बताया कि रेडियो तरंगो से घड़ियों को सिक्रनाइज किया जायेगा। आइंस्टीन को यह विचार और वैज्ञानिकों को बड़ा महत्वपूर्ण और रोमांचक लगा फिर उन्हें एहसास हुआ की घड़ियों को सिक्रनाइज करने का प्रयास केवल रचनात्मक अविष्कार से ज्यादा कुछ नही जा सकता है लेकिन ये यांत्रिक उपकरण उन्हें अप्रत्याशित प्रेरणा प्रदान करता है।तो किस तरह से समय कि यात्रा इस दुनिया में शुरू हुई

आम लोग समय को बहुत सरल तरीके से देखते है। जैसा कि हम जानते है कि समय सभी के लिए समान ही रहता है और इसके पक्ष में आइजैक न्यूटन का भी यही मानना था कि समय हमेशा सभी के लिए एक ही दर पर चलता है अर्थात संपूर्ण ब्रह्माण्ड में समय एक समान ही है। इसमें न्यूटन का यह सिद्धान्त बिलकुल सही लगता है लेकिन आइंस्टीन का कहना था कि समय अलग-अलग जगहों पर अलग-अलग दर से बहता है और उन्होंने आगे कहा समय पूरे ब्रह्माण्ड में एक समान गति से नही चलता और समय व्यक्तिगत रूप से अलग-अलग अनुभव किया जा सकता है लेकिन लोगों में यह एक भ्रम मात्र है।तो किस तरह से समय कि यात्रा इस दुनिया में शुरू हुई

इसी खोज को आगे बढ़ते हुये आइंस्टीन ने अंतरिक्ष और समय के बीच गुप्त सम्बन्ध को उजागर कर कई चौकनेवाले तथ्य दुनियां के सामने रखे। उन्होंने कहा यदि आप अंतरिक्ष में गति कर रहे है तो समय की रफ़्तार आपके लिए धीमी हो रहेगी लेकिन आप रोज़मर्रा इसकों जीवन में यह प्रभाव नही देख सकते है क्योंकि इसका प्रभाव इतना छोटा होता है की आप इसको अनुभव नही कर सकते है। यह प्रभाव वास्तविक है और इसे परमाणु घड़ियों के द्वारा मापा भी जा सकता है।

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