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तो अब फेफड़ों के कैंसर का इलाज होगा इस नई तकनीक से

जयपुर। कैंसर जैसी घातक बीमारीयों से आज दुनिया हर 5वां इंसान जूझ रहा है। ये कई प्रकार का होता है जिसस कई लोगों को मौत हो जाते है। जैसा कि हम जानते है कि तबांकु का सेवन करने पर और अत्यधिक ध्रूमपान करने ऐसा होता है इसी तरह से ज्यादातर मामलों में फेफड़ों में कैंसर
तो अब फेफड़ों के कैंसर का इलाज होगा इस नई तकनीक से

जयपुर। कैंसर जैसी घातक बीमारीयों से आज दुनिया हर 5वां इंसान जूझ रहा है। ये कई प्रकार का होता है जिसस कई लोगों को मौत हो जाते है। जैसा कि हम जानते है कि तबांकु का सेवन करने पर और अत्यधिक ध्रूमपान करने ऐसा होता है इसी तरह से ज्यादातर मामलों में फेफड़ों में कैंसर अधिक होता है और इलाज के लिए अब तक सर्जरी के द्वारा उस गांठ को बाहर निकाल दिया जाता था जो वो भी केवल शुरूआती स्तर पर ही संभव होता है अगर ये ज्यादा वक्त ले लेता है तो इसस बचना बहुत ही मुश्किल है लेकिन अब इस दिशा में एक नई उम्मीद जगी है।तो अब फेफड़ों के कैंसर का इलाज होगा इस नई तकनीक से

हाल ही में फेफड़ों के कैंसर का इलाज खोजने में शोधकर्ताओं को एक अहम कामयाबी हासिल हुई है। दक्षिण कोरिया के वैज्ञानिकों ने फेफड़ों के कैंसर से जुड़े एक नए प्रोटीन को खोज लिए है। आपको बात दे कि इस प्रोटीन की वजह से ही फेफड़ों का कैंसर होता है। जानकारी दे दे कि यूनिवर्सिटी ऑफ उलसान कॉलेज ऑफ मेडिसन में चैंग-ह्वान ली के नेतृत्व में शोधकर्ताओं ने नए प्रोटीन का पता लगाया है। बता दे कि फेफड़ों के कैंसर से पीड़ित लोगों के डीएनए का विश्लेषण करने के बाद ही ये नया प्रोटीन खोजा गया है।तो अब फेफड़ों के कैंसर का इलाज होगा इस नई तकनीक से

वैज्ञानिकों ने इस नवीन प्रोटीन को USE1 नाम दिया है। वैज्ञानिकों ने इसके बारे में जानकारी दे दि कि इसी प्रोटीन की वजह से ही फेफड़ों में कैंसर की गांठ बनने लगती है और ये  ही प्रोटीन ट्यूमर को बढ़ाने में अहम भूमिका निभाता है। शोधकर्ता बताते है कि इस प्रोटीन की सक्रियता से ही कैंसर की गांठ दिन प्रतिदिन बढ़ती जाती है और इलाज ना होने के कारण से आखिरकार पीड़ित की जान चली जाती है लेकिन इस नए शोध में दावा किया गया है कि भविष्य में कैंसर का इलाज हो पायेगा।तो अब फेफड़ों के कैंसर का इलाज होगा इस नई तकनीक से

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