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तो अब जीवित डीएनए से भी स्टोरेज किया जा सकता है डाटा

जयपुर। तकनीक हर क्षेत्र में बहुत ही आगे जा रही है। इससे तो मेडिकल भी अछुता नहीं है। इसी तरह से जीआईएफ डिजिटल फोटोग्राफ का एक फॉर्मेट है। आपको बता दे कि वैज्ञानिकों ने डीएनए के बैक्टीरिया को इसमें बदलकर उसे लिविंग डीएनए बनाने में सफलता हासिल कर ली है। इसी तरह से पहले माइक्रोसॉफ्ट
तो अब जीवित डीएनए से भी स्टोरेज किया जा सकता है डाटा

जयपुर। तकनीक हर क्षेत्र में बहुत ही आगे जा रही है। इससे तो मेडिकल भी अछुता नहीं है। इसी तरह से जीआईएफ डिजिटल फोटोग्राफ का एक फॉर्मेट है। आपको बता दे कि वैज्ञानिकों ने डीएनए के बैक्टीरिया को इसमें बदलकर उसे लिविंग डीएनए बनाने में सफलता हासिल कर ली है। इसी तरह से पहले माइक्रोसॉफ्ट ने एक विडियो तथा कृत्रिम डीएनए को आपस में मिलाकर जीवित डीएनए तैयार किया था। तकनीक ने इंसान को बहुत ही रचनात्मक बना दिया है।तो अब जीवित डीएनए से भी स्टोरेज किया जा सकता है डाटा

जिस जिस तरह से एक तकनीक का इजात होता तो उससे के काम से कई  तरह की मुश्किले आती तो इनको सुलझाते सुलझाते वो कई तरह की चीज़े सीख लेता है। माइक्रोसॉफ्ट ने जीवित डीएनए को जो तैयार किया था उसका आकार पेंसिल की नोंक के जितना छोटा था जिसमें 200 मेगाबाइट डाटा स्टोर किया जा सकता है। लेकिन इसी की दिशा में हार्वर्ड के शोधकर्ताओं की एक टीम काम कर रही है। बता दे कि इन्होंने शोधकर्ताओं ने जीन संपादन टूल क्रिस्पर की मदद से एक जीआईएफ तस्वीर को लिविंग डीएनए में तब्दील किया है।तो अब जीवित डीएनए से भी स्टोरेज किया जा सकता है डाटा

वैज्ञानिकों ने डाटा को जीनोम में बदलने के लिये सबसे पहले इमेज को न्यूक्लियोटाइड्स में परिवर्तित किया और फिर क्रिस्पर टूल की मदद से फोटे के पिक्सल्स को जीन की विभिन्न ई कोली कोशिकाओं में प्रवेश करवाया। बता दे कि फोटो को जीन बैक्टीरिया में ट्रांसफर करने में पाँच दिन का समय लगा। वैज्ञानिकों ने बताया कि 90 प्रतिशत एक्यूरेसी के साथ फिलहाल एक जिफ इमेज को लिविंग डीएनए में परिवर्तित किया जा सकता है। शोधकर्ता डीएनए डाटा स्टोरेज तकनीक को और ज्यादा विकसित करने पर सफलता हासिल कर रही है।तो अब जीवित डीएनए से भी स्टोरेज किया जा सकता है डाटा

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