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तो इंसानी क़द के बराबर होते हैं कुमी मनु पेंगुइन

जयपुर। कुमी मनु विशालकाय पेंगुइन के बारे में आप तो जानते ही होंगे। जो कि एक विलुप्त प्रजाति है। यह अपने फ्लिपर्स की नोक से लगभग 170 सेमी लंबे होते है। आपको बता दे कि करीबन 6 फीट लंबा, और 200 पाउंड्स वज़नी यह पेंगुइन का सबसे बड़ा ज्ञात उदाहरण है। वैज्ञानिकों ने न्यूज़ीलैंड में
तो इंसानी क़द के बराबर होते हैं कुमी मनु पेंगुइन

जयपुर। कुमी मनु विशालकाय पेंगुइन के बारे में आप तो जानते ही होंगे। जो कि एक विलुप्त प्रजाति है। यह अपने फ्लिपर्स की नोक से लगभग 170 सेमी लंबे होते है। आपको बता दे कि करीबन 6 फीट लंबा, और 200 पाउंड्स वज़नी यह पेंगुइन का सबसे बड़ा ज्ञात उदाहरण है। वैज्ञानिकों ने न्यूज़ीलैंड में इसके जीवाश्म पाए गए हैं। वैज्ञानिकों ने बताया कि जीवाश्म से पता चलता है कि पृथ्वी पर यह लगभग 60 से 56 मिलियन वर्ष पहले रहता था। इसका मतलब है कि विशाल डायनासोर के विलुप्त होने के बाद ही ये प्रजातियां पैदा हुईं थी।तो इंसानी क़द के बराबर होते हैं कुमी मनु पेंगुइन

बता दे कि शोधकर्ताओं ने इसका नाम माओरी भाषा से लिया है, कुमी मतलब दैत्य, तथा मनु मतलब पक्षी होता है, यानि दैत्याकार पक्षी। वैज्ञानिकों को प्राप्त जीवाश्मों में इसके पंख, वक्ष, तथा टांगों की हड्डियाँ शामिल है जिससे ज्ञात होता है कि ये विशालकाय पक्षी प्रागैतिहासिक काल में पाये जाते थे। शोधकर्ताओं ने इनकी हड्डियों का पेंगुइन की अन्य प्रजातियों की हड्डियों से तुलना कर अध्ययन किया तो पाया गया कि डायनासोर युग के बाद में ये विशाल पेंगुइन भी धीरे-धीरे विलुप्त होते गये थे।तो इंसानी क़द के बराबर होते हैं कुमी मनु पेंगुइन

इसी के साथ वैज्ञानिकों ने ये भी बताया कि समुद्री जीव जैसे सील, व्हेल, शार्क, हिप्पोपोटेमस आदि से संघर्ष ने इन पेंगुइंस को मिटाने में अहम भूमिका निभाई होगी। जैसा की हम जानते है कि पेंगुइन खुद को जलीय जीवन के लिए अनुकूल बना लेता हैं। और इसके  अविकसित पंख फ्लिपर बन गए हैं। बाहर की बजाये ये पानी में पेंगुइन बहुत ही फुर्तीले होते हैं और ज़मीन पर पेंगुइन अपना बैलेंस बनाने के लिए अपनी पूंछ तथा पंखों का उपयोग करते हैं।तो इंसानी क़द के बराबर होते हैं कुमी मनु पेंगुइन

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