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तो इस कारण से मकड़ियों के जाले को पाँच गुना शक्तिशाली हो जाते है

जयपुर। कुदरत से कई तरह के छेड़छाड़ करके वैज्ञानिकों को कई तरह की चीज़े सिखने को मिलता है और इसी के सहारे से इन्होंने कई तरह के अविष्कार किया है और अभा भी ये इसी थ्योरी पर चल रहा है। इसी तरह से वैज्ञानिकों ने हाल ही में मकड़ियों पर एक नया शोध किया है
तो इस कारण से मकड़ियों के जाले को पाँच गुना शक्तिशाली हो जाते है

जयपुर। कुदरत से कई तरह के छेड़छाड़ करके वैज्ञानिकों को कई तरह की चीज़े सिखने को मिलता है और इसी के सहारे से इन्होंने कई तरह के अविष्कार किया है और अभा भी ये इसी थ्योरी पर चल रहा है। इसी तरह से वैज्ञानिकों ने हाल ही में मकड़ियों पर एक नया शोध किया है जिसमें ज्ञात हुआ है कि मकड़ियों को ग्रेफीन का घोल पिलाने से उनके बुने जाले पहले की अपेक्षा ज्यादा शक्तिशाली बनाया जा सकता हैं।तो इस कारण से मकड़ियों के जाले को पाँच गुना शक्तिशाली हो जाते है

ये इतने मजबूत होते है कि ये जाले मनुष्य के भार को भी झेल सकते हैं। वैज्ञानिक बताते है कि इस शोध से ऐसे उत्पाद बनाने में सहायता मिलेगी जैसे – पर्वतारोहण में काम में आने वाली केबल्स, पैराशूट, स्काईडाइवर्स, आदि। आपको जानकारी दे दे कि ग्रेफीन कार्बन का एक द्वि-आयामी अपरूप है जिसकी खोज सन् 2004 में हुई थी। ग्रेफीन एक ऐसा अद्भुत पदार्थ है, जो कि परमाणु सरंचना षट्कोणीय कार्बन अणुओं से मिलकर इसे बहुत मज़बूत बना देता है।तो इस कारण से मकड़ियों के जाले को पाँच गुना शक्तिशाली हो जाते है

इसी का फायदा उठाते हुए इटली की ट्रेंटो यूनिवर्सिटी में हुये अध्ययन के दौरान मकड़ियों के पीने के पानी में ग्रेफीन और कार्बन नैनो ट्यूब्स मिलाई गई थी तो ये पदार्थ मकड़ियों के सिल्क के साथ मिलकर पाँच गुना शक्तिशाली जाले का निर्माण किया। ये इतना मजबूत था की ये आसानी से इंसान का भार झेल सकता है। इस बात का जानकारी दे दे कि प्रोटीन मैट्रिक्स, कीड़ों के कठिन ऊतकों में मौजूद बायोमिनेरल्स हैं, जो कि उन्हें अपनी शक्ति और कठोरता को बनाये रखने में मददगार साबित होती हैं।तो इस कारण से मकड़ियों के जाले को पाँच गुना शक्तिशाली हो जाते है

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