तो क्या इस तरल पदार्थ से दिमाग की हर बीमारी खोजी जा सकती है
जयपुर। हमारा शरीर एक जटिल और अद्भुत संरचना है। वैज्ञानिक इसके बारे में हमेशा ये कुछ न कुछ खोज करते रहते है। और इसकी नकल भी करने की कोशिश भी करते है जिसमें वह सफल भी हो जाते है। हाल ही में वैज्ञानीकों ने मस्तिष्क की जटिल संरचना और इसके कार्य की जांच करने की एक नई तरकिब निकाली है। इसकी मदद से न्यूरोडिजेनरेटिव और बुढ़ापे से संबंधित बीमारियों का निदान करने में काम आ सकती है। आपको बता दे की ये मस्तिष्क के कार्डियोवैस्कुलर और चयापचय संबंधी बीमारियों के आधार पर किसी भी प्रकार के रोग के निदान के लिए उपयोग की जा सकती है।
मेडिकल के वैज्ञानीकों ने गहन शोध के बाद सेरेब्रोस्पाइनल तरल पदार्थ में उत्तेजना को समझ लिया है जो खोपड़ी और खोपड़ी के बीच स्थित रहता है। आपको जानकारी के तौर पर बता दे की इस पारदर्शी तरल पदार्थ के गैर-आक्रामक रिकॉर्डिंग के लिए एक उपकरण के तकनीकी को विकसित किया गया है। शोधकर्ताओं ने बताया है की इस तरल पदार्थ के पूरे मस्तिष्क में परिसंचरण का अत्यधिक उतार-चढ़ाव रहता है।
ये तरल पदार्थ इंसानों की अधिक उम्र के तालमेल में गिरावट का सबूत दिखाता है जो ये दर्शाता है कि मस्तिष्क उम्र बढ़ने से पहले शुरू हो सकता है। वरना लोगों को ये भ्रम था की मस्तिष्क उम्र से पहले नहीं बढ़ता है। लेकिन वैज्ञानीकों ने इन लोगों का भ्रम तोड़ दिया है और बता दिया है की इस जमाने में हर भ्रम को तोड़ जा सकता है और इस तकनीक के जमाने में हर काम संभव है इसलिए कोई भी भ्रम या सवाल मन में मत रखना इसका जवाब तकनीक आसानी से दे सकती है।