यहां पर होती है लेटे हुए हनुमान जी की पूजा
अभी तक आपने केवल भगवान की खडे़ हुए बैठे हुए मूर्तियां देखी होंगी और मंदिरों में भी ऐसे ही पूजा होती हैं। क्या कभी आपने देखा है लेटे हुए भगवान की मूर्ति जहां पर उनकी इसी आसन में पूजा होती है। भक्तों की हर मनोकमना करते हैं पूरी। तो आइए चलते हैं इस मंदिर में और जानते हैं कहां पर है ये मंदिर:
इलाहाबाद का हनुमान मंदिर जहां पर हनुमान जी की लेटे हुए प्रतिमा है। भक्त उनकी इसी रूप में पूजा करते हैं। जहां एक और इलाहाबाद मे लेटे हुए हनुमान मंदिर है वहीं दूसरी ओर रतनपुर के गिरिजाबंध में हनुमान जी की स्त्री रूप में पूजा होती है। इलाहाबाद का यह मंदिर छोटा है। लेकिन बहुत प्राचीन है।
इस मंदिर के बारे में एक कथा प्रचलित है ओर वो यह है कि एक बार एक व्यापारी हनुमान जी की मूर्ति को जलमार्ग से लेकर आ रहा था। वह हनुमान जी का भक्त था जब वह अपनी नाव लिए प्रयाग के समीप पहुंचा तो उसकी नाव भारी होने लगी और संगम के नजदीक आकर यमुना जी में डूब गई । कुछ समय बाद जब यमुना जी ने अपनी धाराओं ने राह बदली तो मूर्ति दिखाई पडी़। उस समय अकबर का शासन काल था। उसने हिन्दुओं का दिल जीतने के लिए और यह सोच कर की हनुमान जी मेरी और मेरे राज्य की रक्षा करेंगे। यही सब सोचकर उसने अपने किले के पास इस मूर्ति की स्थापना करा दी।
इस मंदिर के की एक और कथा प्रचलित है और वो ये है कि रामभक्त हनुमान जी जब लंका विजय के बाद अपार कष्ट से पीड़ित होकर मरणासन्न अवस्था में पहुंच गए थे तब उनकी माता अंजनी ने इसी स्थान पर उनको सिंदूर लगाकर अमर रहने का आर्शिवाद दिया था और कहा था कि जो भी इस त्रिवेणी तट पर संगम स्नान करने आएगा उस संगम का पुण्य तभी मिलेगा जब वह हनुमान जी के दर्शन करेगा।
आरोग्य और अन्य मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए यहां पर प्रत्येक मंगलवार और शनिवार को झंडा़ निशान चढने के लिए लोग जुलूस की शक्ल में गाजे बाजे के साथ मंदिर में आते है। यहां पर आने वाले भक्तों का कहना है कि ऐसी अनौखी प्रतिमा कहीं पर नहीं हैं।
इलाहाबाद में संगम के पास इन मंदिर का होना एक अनौखा और सुखद एहसास है। यह मंदिर छोटा हैं फिर भी यहां पर लाखों की संख्या मे भक्तों की भीड़ लगी रहती है।
संगम में आने वाले लोगों को संगम का पुण्य तब तक नहीं मिलता जब तक वे सभी हनुमान जी के इस मंदिर मे दर्शन नहीं कर लेते है।