स्कंद षष्ठी तिथि पर करें भगवान कार्तिकेय की आराधना
हिंदू धर्म में व्रत त्योहारों का विशेष महत्व होता हैं वही फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को भगवान शिव पार्वती के पुत्र भगवान कार्तिकेय की आराधना की जाती हैं वही स्कंद षष्ठी पूरे वर्ष में 12 और महीने में एक बार पड़ती हैं इस बार यह षष्ठी तिथि 29 फरवरी दिन शनिवार को मनाई जाएगी। आपको बता दें कि दक्षिण भारत में इस पर्व को प्रमुख रूप से मनाया जाता हैं, मगर भगवान शिव और देवी मां स्कंदमाता यानी पार्वती की आराधना पूरे देश में होने से इस दिन सभी मंदिरों में भगवान कार्तिकेय की विशेष उपासना की जाती हैं। इस त्योहार को बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक के रूप में भी जाना जाता हैं क्योंकि इस तिथि को कुमार कार्तिकेय ने तारकासुर नाम एक राक्षस का वध किया था। तो आज हम आपको स्कंद षष्ठी से जुड़ी कुछ खास बातें बताने जा रहे हैं तो आइए जानते हैं।
बता दें कि देवी मां दुर्गा के 5वें स्वरूप स्कंदमाता को भगवान कार्तिकेय की माता के रूप में जाना जाता हैं वैसे तो नवरात्रि के 5वें दिन स्कंदमाता का पूजन किया जाता हैं इसके अलावा इस षष्ठी को चम्पा षष्ठी भी कहा जाता हैं क्योंकि भगवान कार्तिकेय को सुब्रह्मण्यम के नाम से भी पुकारते हैं और उनका प्रिय पुष्प चम्पा हैं। इस दिन मंदिर में भगवान कार्तिकेय की विधिवत पूजा करें। उन्हें बादाम और नारियल से बनी मिठाइयां चढ़ाएं। इसके अलावा बरगद के पत्ते और नीले पुष्प अर्पित कर भगवान कार्तिकेय की श्रद्धा पूर्वक पूजा करें। कार्तिकेय भगवान की पूजा दीपक, गहनों, कपड़ों और खिलौनों से की जाती हैं।