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विवाह पंचमी पर इस विधि से कराएं श्री राम और माता सीता का विवाह

मार्गशीर्ष शुक्ल पंचमी को भगवान श्री राम ने माता सीता के साथ विवाह किया था। वही इस तिथि को श्रीराम विवाहोत्सव के रूप में भी मनाया जाता हैं। इसको विवाह पंचमी भी कहते हैं। भगवान राम चेतना के प्रतीक हैं,और माता सीता प्रकृति शक्ति की, अत: चेतना और प्रकृति का मिलन होने से यह दिन
विवाह पंचमी पर इस विधि से कराएं श्री राम और माता सीता का विवाह

मार्गशीर्ष शुक्ल पंचमी को भगवान श्री राम ने माता सीता के साथ विवाह किया था। वही इस तिथि को श्रीराम विवाहोत्सव के रूप में भी मनाया जाता हैं। इसको विवाह पंचमी भी कहते हैं। भगवान राम चेतना के प्रतीक हैं,और माता सीता प्रकृति शक्ति की, अत: चेतना और प्रकृति का मिलन होने से यह दिन बहुत महत्वपूर्ण हो जाता हैंं इस दिन भगवान राम और माता सीता का शुभ विवाह करवाना बहुत ही शुभ माना जाता हैं। इस बार विवाह पंचमी 12 दिसंबर को मनाई जाएगी। विवाह पंचमी के दिन किस—किस तरह के वरदान मिल सकते हैं।विवाह पंचमी पर इस विधि से कराएं श्री राम और माता सीता का विवाह

विवाह होने में बाधा आ रही हो तो वो समस्या दूर हो जाती हैं। मनचाहे विवाह का वरदान भी प्राप्त होता हैं। वैवाहिक जीवन की समस्याओं का अंत भी हो जाता हैं। वही इस दिन भगवान राम और माता सीता की संयुक्त रूप से उपासना करने से विवाह होने में आ रही बाधाओं का नाश होता हैं। इस दिन बालकाण्ड में भगवान राम और सीता जी के विवाह प्रसंग का पाठ करना शुभ माना जाता हैं। वही इस दिन सम्पूर्ण रामचरितमानस का पाठ करने से भी पारिवारिक जीवन सुखमय होता हैं। विवाह पंचमी पर इस विधि से कराएं श्री राम और माता सीता का विवाहजानिए कैसे करें भगवान राम और माता सीता ​का विवाह—
प्रात: काल स्नान करके श्री राम विवाह का संकल्प लें। स्नान करके विवाह के कार्यक्रम का आरम्भ करें। भगवान राम और माता सीता की प्रतिकृति की स्थापना करें। वही भगवान राम को पीले और माता सीता को लाल वस्त्र ​अर्पित करें। या फिर इनके समक्ष बालकाण्ड में विवाह प्रसंग का पाठ करें। इसके बाद माता ​सीता व भगवान राम का गठबंधन करें। उनकी आरती करें। विवाह पंचमी पर इस विधि से कराएं श्री राम और माता सीता का विवाह

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