इलेक्ट्रिक परिवहन के प्रसार के लिए सियाम ने सरकार से की समय की मांग
जयपुर। भारत सरकार इस समय इलेक्ट्रिक व्हीकल उपयोग और निर्माण को लेकर खासी गंभीर नजर आ रही है। इसके लिए सरकार द्वारा फेम-2 योजना, नए बीएस-6 नॉर्म्स, डीजल वाहनों के निर्माण पर रोक जैसे कई बड़े फैसले किए है। वहीं देश के उद्योग जगत द्वारा इलेक्ट्रिक परिवहन के प्रसार के लिए व्यावहारिक समय-सीमा की मांग की गई है।
देश में ऑटो इंडस्ट्री के संगठन सियाम ने कहा है कि, हम इलेक्ट्रिक परिवहन को बढ़ावा देने की नीति आयोग की मुहिम का पूरी तरह से समर्थन करते है, लेकिन इसके लिए जरूरी है कि सरकार द्वारा अपने रुख को थोड़ा व्यावहारिक रखा जाए। सरकार को इस उद्योग को अनावश्यक रुप से किसी तरह के नुकसान पहुंचाने से बचना चाहिए।
सरकार को चाहिए कि वह बाजार पर प्रौद्योगिकी थोपने की बजाय उसे ग्राहकों के बीच स्वत: स्वीकार्यता विकसित करने पर जोर दे। वहीं उद्योग मंडल सीआईआई ने भी सरकार द्वारा इलेक्ट्रिक व्हीकल के संबंध में दिए गए समय-सीमा को लेकर आलोचना की है। सीआईआई के अनुसार, भारत सरकार को इसे अंतिम रूप देने के लिए व्यापक स्तर पर परामर्श की जरूरत है जो अब तक कही नजर नही आ रहा है।
इस पूरे मामले में सियाम के अध्यक्ष राजन वढेरा ने कहा कि सरकार को सिर्फ ये उम्मीद है कि इलेक्ट्रिक वाहन की प्रौद्योगिकी अगले पांच-छह साल में ही बाजार की मांग को प्रतिस्थापित हो जाएगी। लेकिन हमारा मानना है कि सरकार को इसके लिए एक स्थापित प्रौद्योगिकी को जल्दबाजी में प्रतिबंधित करने से बचना चाहिए। हम देश में ग्रीन मोबिलिटी के पक्षधर है पर क्या सिर्फ इलेक्ट्रिक व्हीकल के इस्तेमाल से हम इस दिशा में सफल हो सकते है।