पितृपक्ष में पीपल के वृक्ष के पास जलाएं दीपक
आपको बता दें, कि हिंदू धर्म में पितृपक्ष को बहुत ही खास माना जाता हैं वही श्राद्ध के दिनों में पितर पृथ्वी लोक आते हैं और घर का बड़ा या फिर छोटा अपने पुरखों का तर्पण करता हैं ऐसा भी कहा जाता हैं कि तर्पण से उनकी प्यास बूझती हैं इन दिनों पितरों को पसन्न करने के लिए कई नियमों का पालन भी किया जाता हैं वही ऐसा भी कहा जाता हैं कि पितरों के प्रसन्न रहने पर उनकी कृपा जीवनभर बनी रहती हैं इस दौरान कुछ पितरों को प्रसन्न करने के लिए खास उपाय भी किए जाते हैं। तो आइए जानते हैं उन उपायों के बारे में।
वही श्राद्ध कर्म में स्थान का विशेष महत्व हैं, हिंदू धर्म शास्त्रों में ऐसी जगहों के बारे में बताया गया कि जहां श्राद्ध और पिंडदान करने से पितरों को मुक्ति मिलती हैं इन स्थानों में गया, प्रयाग, बद्रीनाथ आदि प्रमुख जगह हैं मगर जो व्यक्ति इन जगहों पर किसी कारण जा नहीं पाता हैं वो लो अपने घर के आंगन अथवा अपनी जमीन पर कही भी तर्पण कर सकते हैं दूसरे की जमीन पर तर्पण करने से पितर तर्पण को स्वीकार नहीं करते हैं ऐसा न करने से पितरा नाराज भी हो जाते हैं। पितृपक्ष के समय में संयमित भोजन का विशेष ध्यान रखना चाहिए। पितृ पक्ष के दौरान चना, मसूर, सरसों का साग, सत्तू, जीरा, काला नमक, लौकी, खीरा एवं बासी भोजन का त्योग करना चाहिए। जो मनुष्य पितरों का श्राद्ध करता हैं, उन्हें पितृ पक्ष में ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए। वही पितृपक्ष के दौरान पीपल के पेड़ की जड़ में जल चढ़ाना चाहिए और घी के दीपक जलाएं ऐसा करने से प्रसन्न हो जाते हैं।