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पितरों को अर्पित करने के लिए अगर न हो कुछ पास तो अपनाएं ये उपाय

श्राद्ध पक्ष में पूर्वज धरती पर आते हैं और श्राद्ध कर्म के माध्यम से भोग प्रसाद ग्रहण करके हमें आशीर्वाद देकर वापस अपने लोक चले जाते हैं वही 14 सितंबर को सूर्य अस्त होते सूर्य की रश्मियों पर बैठकर पितृगण धरती पर आ गए। बता दें कि इसके चलते धराधामवासी 16 दिनों तक अपने पुरखों की तिथियों के मुताबिक पितरों को हव्य, कव्य और जल प्रदान किया जा रहा हैं
पितरों को अर्पित करने के लिए अगर न हो कुछ पास तो अपनाएं ये उपाय

आप सभी को पता हैं, कि इन दिनों पितर पक्ष चल रहा हैं और पितर पक्ष को बहुत ही खास माना जाता हैं और ऐसा माना गया हैं कि श्राद्ध पक्ष में पूर्वज धरती पर आते हैं और श्राद्ध कर्म के माध्यम से भोग प्रसाद ग्रहण करके हमें आशीर्वाद देकर वापस अपने लोक चले जाते हैंपितरों को अर्पित करने के लिए अगर न हो कुछ पास तो अपनाएं ये उपाय वही 14 सितंबर को सूर्य अस्त होते सूर्य की रश्मियों पर बैठकर पितृगण धरती पर आ गए। बता दें कि इसके चलते धराधामवासी 16 दिनों तक अपने पुरखों की तिथियों के मुताबिक पितरों को हव्य, कव्य और जल प्रदान किया जा रहा हैं मगर जिनके पास पितरों को अर्पित करने के लिए कुछ नहीं हैं, वह केवल मात्र दक्षिण दिशा में आंसू बहाकर पितरों को संतृप्त कर सकते हैं, क्योंकि गरुड़ पुराण और वास्तुशास्त्र के मुताबिक दक्षिण दिशा पितरों को समर्पित मानी जाती हैं।पितरों को अर्पित करने के लिए अगर न हो कुछ पास तो अपनाएं ये उपाय

वही 16 दिनों तक चलने वाले पितृपक्ष में मान्यता हैं कि तिथि के मुताबिक अपने पितृ को मध्याह्न काल में यथा योग्य हव्य, कव्य दिया जाना चाहिए। वही मध्याह्न काल दोपहर 12 बजे से दो बजे तक माना जाता हैं वही पितृपक्ष में अगर पास में धन हैं तो कई पंडितों को पितरों के निमित्त ​जिमाया जाता हैं वही पंडितों के अलावा धेवेते को भी पंडित की मान्यता शास्त्रों ने दी हैं वही पास में कुछ न हो तो दक्षिण दिशा की ओर मुख कर आंसू बहाने से भी पितृगण तृप्त हो जाते हैं ऐसी गरुड़ पुराण की मान्यता हैं। अगर कोई बहुत ही गरीब हो तो वह केवल पितरों का स्वरूप स्मरण करने से उनको पुत्र और पौत्र का हव्य प्राप्त हो जाता हैं वही पितृपक्ष में रोजाना पितरों को तिथि के मुताबिक दक्षिणा द्रव्य दिए जाने की मान्यता भी हैं। पितरों को अर्पित करने के लिए अगर न हो कुछ पास तो अपनाएं ये उपाय

श्राद्ध पक्ष में पूर्वज धरती पर आते हैं और श्राद्ध कर्म के माध्यम से भोग प्रसाद ग्रहण करके हमें आशीर्वाद देकर वापस अपने लोक चले जाते हैं वही 14 सितंबर को सूर्य अस्त होते सूर्य की रश्मियों पर बैठकर पितृगण धरती पर आ गए। बता दें कि इसके चलते धराधामवासी 16 दिनों तक अपने पुरखों की तिथियों के मुताबिक पितरों को हव्य, कव्य और जल प्रदान किया जा रहा हैं पितरों को अर्पित करने के लिए अगर न हो कुछ पास तो अपनाएं ये उपाय

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