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पूर्वजों का ऋण चुकाने का उत्तम अवसर है श्राद्ध

श्राद्ध कर्म के द्वारा पितरों की तृप्ति के लिए भोजन पहुंचाया जाता हैं और पिंड दान व तर्पण कर उनकी आत्मा की शांति की कामना की जाती हैं वही श्राद्ध से जो भी कुछ देने का हम संकल्प लेते हैं वह सब कुछ उन पूर्वजों को अवश्य ही मिलता हैं, जिस तिथि में जिस पूर्वज का स्वर्गवास हुआ होता हैं उसी तिथि को उनका श्राद्ध किया जाता हैं जिनकी परलोक गमन की तिथि ज्ञान न हो
पूर्वजों का ऋण चुकाने का उत्तम अवसर है श्राद्ध

हिंदू धर्म में श्राद्ध पक्ष को बहुत ही खास माना जाता हैं वही अपने पितरों और पूर्वजों का कर्ज चुकाना एक जीवन में तो संभव ही नहीं होता हैं, उनके द्वारा संसार त्याग कर चले जाने के बाद भी श्राद्ध करते हरने से उनका ऋण चुकाने की पंरपरा हिंदू धर्म में होती हैं वही इसमें जो षष्ठी तिथि को श्राद्ध कर्म संपन्न करता हैं उसकी पूजा देवता भी करते हैं। ऐसा कहा जाता हैं। पूर्वजों का ऋण चुकाने का उत्तम अवसर है श्राद्धवही पितृ पक्ष के दसमय दिवंगत पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए श्राद्ध कर्म किया जाता हैं वही हिंदू मान्यता हैं कि अगर पितर नाराज हो जाते हैं तो मनुष्य का जीवन भी खुशहाल नहीं रहता हैं और उसे कई तरह की परेशानी और समस्याओं का भी सामना करना पड़ता हैं यही नहीं घर में अशांति फैलती हैं और व्यापार व गृहस्थी में भी हानि हो सकती हैं वही ऐसे में पितरों को तृप्त करना और उनकी आत्मा की शांति के लिए पितृ पक्ष में श्राद्ध करना बहुत ही अवश्यक माना जाता हैं। पूर्वजों का ऋण चुकाने का उत्तम अवसर है श्राद्धवही श्राद्ध कर्म के द्वारा पितरों की तृप्ति के लिए भोजन पहुंचाया जाता हैं और पिंड दान व तर्पण कर उनकी आत्मा की शांति की कामना की जाती हैं वही श्राद्ध से जो भी कुछ देने का हम संकल्प लेते हैं वह सब कुछ उन पूर्वजों को अवश्य ही मिलता हैं, जिस तिथि में जिस पूर्वज का स्वर्गवास हुआ होता हैं उसी तिथि को उनका श्राद्ध किया जाता हैं जिनकी परलोक गमन की तिथि ज्ञान न हो, उन सबका श्राद्ध अमावस्या के दिन किया जा सकता हैं।पूर्वजों का ऋण चुकाने का उत्तम अवसर है श्राद्ध

श्राद्ध कर्म के द्वारा पितरों की तृप्ति के लिए भोजन पहुंचाया जाता हैं और पिंड दान व तर्पण कर उनकी आत्मा की शांति की कामना की जाती हैं वही श्राद्ध से जो भी कुछ देने का हम संकल्प लेते हैं वह सब कुछ उन पूर्वजों को अवश्य ही मिलता हैं, जिस तिथि में जिस पूर्वज का स्वर्गवास हुआ होता हैं उसी तिथि को उनका श्राद्ध किया जाता हैं जिनकी परलोक गमन की तिथि ज्ञान न हो पूर्वजों का ऋण चुकाने का उत्तम अवसर है श्राद्ध

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