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जानिए द्रौपदी का एक ऐसा रहस्य जिसने पांडवों को हैरत में डाल दिया

जयपुर। महाभारत को हम में टीवी सिरियल में देखा है। महाभारत को विश्व का सबसे बड़ा धर्मग्रन्थ माना जाता है। महाभारत की कुछ ऐसी घटनाएं है, जिनके बारे में हम में से कई लोग जानते हैं लेकिन उसके पीछे की पूरी सच्चाई को नहीं जानते। महाभारत में द्रौपदी पांच पांडवो की पत्नी थीं लेकिन
जानिए द्रौपदी का एक ऐसा रहस्य जिसने पांडवों को हैरत में डाल दिया

जयपुर। महाभारत को हम में टीवी सिरियल में देखा है। महाभारत को विश्व का सबसे बड़ा धर्मग्रन्थ माना जाता है।  महाभारत की कुछ ऐसी घटनाएं है, जिनके बारे में हम में से कई लोग जानते हैं लेकिन उसके पीछे की पूरी सच्चाई को नहीं जानते।

 

महाभारत में द्रौपदी पांच पांडवो की पत्नी थीं लेकिन उनका प्रेम अपने पांचों पति के लिए एक समान नहीं था। इस संबंध में एक कथा प्रचलित है। एक बार द्रौपदी ने भ्रमण करते हुए अंगूर के गुच्छे को पेड़ से तोड़ लिया। तभी भगवान कृष्ण वहाँ आए और उन्होंने द्रौपदी से कहा कि उस अंगूर के गुच्छे को खा कर एक ऋषि अपने व्रत को तोड़ने वाले थे।  यह सुनकर वहां पर मौजूद सभी लोग परेशान हो गये और कृष्ण से इससे बचने का रास्ता पूछने लगें।

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कृष्ण ने कहा कि मैं अंगूर के गुच्छे को पेड़ के नीचे रखूता हू इसके बाद सभी लोगों को अपने एक एक रहस्य को खोलना होगा। अगर कोई झूठ बोलता है तो यह अंगूर दोबारा कभी पेड़ से नहीं जुड़ेगा ऐसे में ऋषि के क्रोध का सामना करना पड़ेगा।

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ऐसे में युधिष्ठिर आए और उन्होंने कहा कि अन्याय, अधर्म के स्थान पर धर्म और सत्यता का प्रसार होना चाहिए।  इसके बाद वहाँ भीम आए और उन्होंने कहा कि मेरा भोजन, युद्ध, आराम और नींद के प्रति आसक्ति कभी कम नहीं होती इसके साथ ही जो भी मेरी गदा को हाथ लगाता है उसे मेरे क्रोध का सामना करना पड़ेगा। फिर अर्जुन ने कहा मुझे ख्याति और प्रतिष्ठा मेरे प्राणों से भी प्रिय है और जब तक में कर्ण को नहीं मारुगा मेरे जीवन का उद्देश्य नहीं पूरा होगा।  इसके बाद नकुल और सहदेव भी सत्य बोलकर चले गये।

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फिर द्रौपदी की बारी आई, उन्होंने कहा कि पांचो पांडवों के अतिरिक्त मैं कर्ण से भी प्रेम करती हू, लेकिन कर्ण के सूद्र पुत्र होने के कारण मैं उससे विवाह नहीं कर सकी। लेकिन अब मुझे पछतावा है क्योंकि अगर मैं कर्ण से विवाह करती तो आज मेरी वजह से पांचों पाडवों की यह दुर्दशा न होती।  यह सुनकर सभी हैरान रह गये इसके साथ ही उनको यह एहसास हुआ कि उन्होंने द्रौपदी की इच्छाओं को अब तक नज़रन्दाज़ किया।

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