षटतिला एकादशी के दिन सुनें व्रत कथा, मिलेंगी नरक से मुक्ति
भगवान श्री हरि विष्णु की प्रिय एकादशी तिथि आज हैं, हिंदू धर्म में एकादशी के दिन को विशेष माना जाता हैं भगवान विष्णु और श्री कृष्ण की पूजा को समर्पित षटतिला एकादशी 20 जनवरी यानी आज मनाई जा रही हैं इस दिन विधिपूर्वक व्रत करने और भगवान की आराधना करने से धन धान्य और समृद्धि की प्राप्ति होती हैं इस दिन व्यक्ति को नरक से मुक्ति के साथ मोक्ष भी प्राप्त होता हैं ऐसे मनुष्य को मृत्यु के बाद वैकुण्ठ की प्राप्ति भी होती हैं षटतिला एकादशी के दिन पूजा, स्नान आदि के समय काले तिल का प्रयोग अनिवार्य माना जाता हैं षटतिला एकादशी के व्रत को रखने वाले मनुष्यों को षटतिला एकदशी की विशेष कथा जरूरी सुननी चाहिए। तो आज हम आपको इस एकादशी की पूर्ण कथा बताने जा रहे हैं तो आइए जानते हैं।
जानिए षटतिला एकादशी व्रत कथा—
मान्यताओं के मुताबिक एक बार देवर्षि नारद तीनों लोकों का भ्रमण करते हुए विष्णु जी के लोक पहुंच गए। उन्होंने श्री विष्णु को प्रणाम कर उनसे षटतिला एकादशी की कथा विस्तार से बताने को कहा। नारद जी के आग्रह पर विष्णु भगवान ने उनको इस एकादशी की पूर्ण कथा सुनाना शुरू किया।
बहुत समय पहले एक ब्राह्माणी थी, जो विष्णु की परम भक्त थी। वह उनके सभी व्रतों को रखती थी। एक बार उसने क माह तक उपवास किया। जिससे उसका शरीर कमजोर हो गया। व्रत के कारण उसका शरीर शुद्ध हो गया। भगवान ने सोचा कि इसने शरीर तो शुद्ध कर लिया। जिससे उसे विष्णुलोक की प्राप्ति हो जाएगी। मगर उसकी तृप्ति नहीं हो पाएगी। उस ब्राह्माणी ने व्रत के समय कभी किसी देवता या ब्राह्माण को अन्न धन का दान नहीं किया था। इस कारण से विष्णु लोक में भी उसे तृप्ति प्राप्त करना कठिन था। ऐसे में विष्णु जी ने सोचा कि क्यों न वे स्वंय ही उसके घर भिक्षा लेने जाएं। री विष्णु स्वयं उसके दरवाजे भिक्षा के लिए गए। उन्होंने ब्राह्माणी से भिक्षा मांगी। तो उसने मिट्टी का एक पिंड दे दिया। वही मृत्यु के बाद ब्राह्माणी विष्णुलोक पहुंची तो वह उसे एक आम का पेड़ और कुटिया मिली, जो धन धान्य से रहित थी। वह खाली कुटिया देकर चिंतित हो गइ। तब उसने पूजा कि उसने सभी व्रत विधि विधान से किए फिर खाली कुटिया और आम का एक पेड़ क्यों मिला। तब विष्णु ने कहा तुमने अपने जीवन काल में कभी किसी को अन्न धन दान नहीं किया। ये उसी का दंड हैं। ब्राह्माणी ने विष्णु जी से मुक्ति का उपाय पूछा तब श्री विष्णु ने षटतिला एकादशी करने को कहा। इस व्रत को विधि विधान के साथ करने से ब्राह्माणी को मोक्ष की प्राप्ति हुई।