शारदीय नवरात्रि: आज देवी कूष्मांडा की पूजा करने से होगी संतान प्राप्ति की कामना पूरी
जयपुर। आज शारदीय नवरात्रि की चतुर्थी पर दुर्गा के चौथे स्वरूप देवी कुष्मांडा की पूजा व व्रत किया जाएगा। देवी कुष्मांडा का संबंध हमारी कुड़ली के पंचम व नवम भाव से हैं। इसके साथ ही देवी सूर्य ग्रह पर आधिपत्य रखती हैं। देवी कूष्मांडा वीर मुद्रा में सिंह की सवारी करती हैं, ये सुवर्ण से सुशोभित हैं। इनके अष्ट भुजा है, इनके हाथों में कमल, कमंडल, अमृतपूर्ण कलश, धनुष, बाण, चक्र, गदा और कमलगट्टे की जापमाला है।
सूर्य पर आधिपत्य रखने से ये मान सम्मान देने वाली है। देवी कुष्मांडा की पूजा का संबंध स्वास्थ्य, मानसिकता, व्यक्तित्व, रूप, विद्या, प्रेम, भाग्य, गर्भाशय, अंडकोष व प्रजनन तंत्र से है। इनकी पूजा व व्रत करने से निसंतान को संतान सुख मिलता है, प्रोफेशन में सफलता, नौकरी में प्रमोशन मिलता है।
पूजा विधि – देवी कूष्माडां की पूजा करने के लिए घर के मंदिर में पूर्व की ओर लाल कपडें में देवी कुष्मांडा की मूर्ति स्थापित करें उसका विधिवत दशोपचार पूजन करें। देवी के सामने तांबे के दिए में गाय के घी का दीपक जलाएं, चंदन की धूप जलाएं, बिल्वपत्र, रक्त चंदन, फल चढ़ाएं व गुड़ का भोग लगाएं पूजा सम्पन्न होने के बाद भोग को किसी कन्या को दें।
मंत्र ॐ कूष्माण्डायै देव्यै: नमः॥ इस मंत्र का जाप करें।
उपाय
- देवी कुष्मांडा पर चढ़ें सिक्के में से 1 रू का सिक्का हमेशा अपने पर्स में रखने से नौकरी में आसानी से प्रमोशन मिलता है।
- कद्दू को नाभि से सात बार वारकर देवी कूष्मांडा पर चढ़ाने से संतानहीनता से मुक्ति मिलती है।
- देवी कुष्मांडा पर जायफल चढ़ा कर उसमें से 10 जायफल किसी भिखारी को दान करने से प्रोफेशन में तरक्की का राह खुलती है।