शारदीय नवरात्र: देवी कालरात्रि की पूजा करने से होगी ग्रह बाधा शांत
जयपुर। शारदीय नवरात्रि की आज सप्तमी तिथि है। इसके साथ ही नवरात्र के सप्तम दिन देवी कालरात्रि की पूजा की जाती है। देवी कालरात्रि का स्वरुप भयंकर है ये अपने इस स्वरूप से पापियों के नाश करती है। देवी अपने भक्तों को सदैव शुभ फल देती हैं। देवी कालरात्रि हमारी कुंड़ली में दशम और एकादश भाव से संबंध रखती है। देवी कालरात्रि का आधिपत्य शनि ग्रह पर हैं इसलिए शनि की कृपा पाने के लिए देवी कालरात्रि की पूजा करनी चाहिए।
शास्त्रनुसार देवी कालरात्रि का रंग काजल के समान काला है। देवी कालरात्रि के त्रिनेत्र हैं, इनके शरीर से बिजली की भांति भांति की किरणें निकालती हैं। कंठ में विद्युत माला लिए हैं, इनके केश बिखरे हुए है इनके स्वरुप को देख मन में डर पैदा होता हैं। देवी कालरात्रि गर्दभ की सवारी करती हैं इनके ऊपरी दाईं भुजा से भक्तों को वरदान देती हैं, निचली दाईं भुजा से आशीर्वाद देती हैं। बाईं भुजा में तलवार व खड्ग धारण किया है।
देवी की साधना करने से कर्म, प्रोफैशन, पितृ, पिता, आय, लाभ, नौकरी, में लाभ मिलता है। देवी की पूजा व अर्चना करने से ग्रह बाधा शांत होती है, पद्दोन्नति मिलती है व धन लाभ होता है।
पूजा विधि – घर के मंदिर में पश्चिम दिशा की ओर नीला वस्त्र बिछाकर देवी की मूर्ती स्थापित कर विधिवत पूजा करें। तिल के तेल का दीपक जलाए, लोहबान की धूप जलाए, काजल का तिलक करें, नीले फूल चढ़ाएं व रेवड़ियों का भोग लगाएं व पूजा के बाद भोग प्रसाद स्वरूप वितरित करें।
मंत्र ॐ कालरात्र्यै देव्यै: नमः॥ इस मंत्र का जाप करें।