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शारदीय नवरात्रि: जाने माता सिद्धिदात्री के पूजा महत्व और स्वरुप के बारे में

जयपुर। नवरात्रि के नवे दिन माता दुर्गा की नवी शक्ति माता सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है, इनको माता का नौवा स्वरुप माना जाता है। इसके साथ ही माता सिद्धिदात्री अपने नाम के अनुसार भक्त को सारी सिद्धियो को देने वाली है। देवी सिद्धिदात्री यानी जो सिद्धि अर्थात मोक्ष को देने वाली है जिसके कारण
शारदीय नवरात्रि: जाने माता सिद्धिदात्री के पूजा महत्व और स्वरुप के बारे में

जयपुर। नवरात्रि के नवे दिन माता दुर्गा की नवी शक्ति माता सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है, इनको माता का नौवा स्वरुप माना जाता है।  इसके साथ ही माता सिद्धिदात्री अपने नाम के अनुसार भक्त को सारी सिद्धियो को देने वाली है। देवी सिद्धिदात्री यानी जो सिद्धि अर्थात मोक्ष को देने वाली है जिसके कारण इनका नाम “सिद्धिदात्री” पड़ा।

शारदीय नवरात्रि: जाने माता सिद्धिदात्री के पूजा महत्व और स्वरुप के बारे में

माता सिद्धिदात्री की पूजा  करें इस मंत्र से

सिद्धगन्धर्वयक्षाघैरसुरैरमरैरपि।

सेव्यमाना सदा भूयात् सिद्धिदा सिद्धिदायिनी॥

शारदीय नवरात्रि: जाने माता सिद्धिदात्री के पूजा महत्व और स्वरुप के बारे में

माता सिद्धिदात्री का स्वरूप 

माता सिद्धिदात्री की चार भुजाए हैं, माता सिद्धिदात्री  का वर्ण रक्त हैं  ये कमल के पुष्प पर विराजमान हैं। इनके एक हाथ में कमल, दूसरे हाथ मे चक्र, तीसरे हाथ मे गदा ओर चौथे हाथ मे शंख है।  देवी सिद्धिदात्री का वाहन सिंह है ये सिंह की सवारी करती है।

शारदीय नवरात्रि: जाने माता सिद्धिदात्री के पूजा महत्व और स्वरुप के बारे में

 

पूजा का महत्व

देवी सिद्धिदात्री की पूजा करने से भक्त को आठ सिद्धियां अणिमा, महिमा, गरिमा, लघिमा, प्राप्‍ति, प्राकाम्‍य, ईशित्‍व और वशित्‍व का ज्ञान प्राप्त होता है। देवी सिद्धिदात्री की उपासना करने से हर असंभव काम को संभव किया जा सकता है। देवी पूजा करने से सभी भौतिक और आध्‍यात्‍मिक कामनाओं की पूर्ति होती है। देवी अपने भक्त को मुक्ति का मार्ग दिखाती है।

 

माता सिद्धिदात्री पूजा में प्रयोग वस्तु

नवमी तिथि के दिन देवी की नवी शक्ति देवी सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है इनकी पूजा में देवी को धान का लावा अर्पित किया जाता है व धान का लावा ही ब्राह्मण को दान में दिया जाता है।

 

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