शारदीय नवरात्रि: जाने देवी महागौरी के स्वरुप को और पूजा के महत्व को
जयपुर। नवरात्रि के आठवे दिन देवी दुर्गा की आठवी शक्ति माता महागौरी की पूजा अर्चना की जाती है। देवी महागौरी ने हिमालय मे शिवजी को पाने के लिए कठिन तपस्या की तपस्या करते समय इनका शरीर धूल- मिट्टी से मलिन हो गया जिसे शिवजी ने गंगाजल से धो कर साफ किया, गंगाजल से धोने के बाद देवी को गौर वर्ण की प्राप्त हुई। जिस कारण इनका नाम महागौरी पड़ा।
माता महागौरी की पूजा करें इस मंत्र से–
श्वेते वृषे समारुढा श्वेताम्बरधरा शुचिः।
महागौरी शुभं दघान्महादेवप्रमोददा॥
माता महागौरी का स्वरूप
देवी महागौरी के गौर वर्ण के साथ ही श्वेत वस्त्र व श्वेत आभूषण धारण किये है, इनकी चार भुजाए है। ये वृषभ की सवारी करती हैं इनका बैल भी श्वेत ही है। देवी की दाहिना हाथ अभय मुद्रा ओर दूसरे हाथ मे त्रिशूल लिए है बाए हाथ मे डमरू ओर नीचे का बाया हाथ वर मुद्रा मे भक्तो को अभय देने वाला है।
पूजा का महत्व
माता महागौरी की पूजा करने से भक्त को इनकी कृपा से सिद्धियो की प्राप्ति होती है। देवी महागौरी भक्तो के दुख को दूर करने वाली है। इनकी उपासना करने से हर असंभव काम भी संभव हो जाते है। देवी की आराधना से भक्त को अमोघ ओर शुभ फल मिलता है जीवन की सारी परेशानी का अंत होता है।
माता महागौरी की पूजा में प्रयोग वस्तु
देवी महागौरी की पूजा नवरात्रि की अष्टमी तिथि के दिन की जाती है। देवी महागौरी को नारियल का भोग लगया जाता है। नैवेद्य रूप में नारियल ही ब्राह्मण को दिया जाता है।