शारदीय नवरात्र: करें देवी स्कन्दमाता के दर्शन
जयपुर। जहां पूरा देव देशी की भक्ति में डूबा है सभी देवी भक्त देवी को प्रसन्न करने के लिए कई प्रयास कर रहें हैं। आज उसी क्रम में नवरात्रि के पांचवे दिन माता दुर्गा की पाचवी शक्ति स्कन्दमाता की पूजा की जाती है। देवी स्कन्दमाता को कार्तिकेय की माता भी कहा जाता है। इनकी गोद में इनका पुत्र बैठा है।
भगवान शिव से विवाह करने के बाद स्कन्द (कार्तिकेय) इनके पुत्र के रूप मे उत्पन्न हुए। स्कन्द की माता होने के कारण इनको स्कन्दमाता कहा जाता है। देवी स्कन्दमाता सिंह का वाहन सिंह है।
स्कन्दमाता की दाहिनी भुजा मे कमल का फूल, बाई भुजा वरदान की मुद्रा मे है। इनकी तीन आँखे ओर चार भुजाए है। देवी कमलासन पर विराजित हैं ओर इनका वाहन सिंह है।
स्कन्दमाता की पूजा अर्चना करने से भक्त की सारी मनोकामनाएपूर्ण होती है, भक्त को परम शांति ओर सुख की प्राप्ति होती है। देवी अपने भक्त तो मोक्ष का वरदान देती है। भक्त के सारे कष्ट दूर करती है।
देवी स्कंदमाता हमारी कुड़ली में तीसरे व छठे घर से इनका संबंध है। ये हमारी कुंड़ली के तीसरे व छठे घर को देखती है। इसके साथ ही देवी बुद्ध ग्रह पर अपना आधिपत्य रखती हैं।