नवरात्रि: इस दिशा में जलाएं अखंड दीपक, भूलकर भी ना करें पूजा में कोई गलती
जयपुर। नवरात्री आज से शुरु हो रही हैं, नवरात्री के नौ दिन में देवी दुर्गा के अलग अलग स्वरुपों की पूजा की जाती है। ये देवी शक्ति स्वरुप हैं, इन्हें हम आदि शक्ति, प्रधान प्रकृति, महामाया, बुद्धितत्व की जननी मानते है। देवी समाज से अंधकार व अज्ञानता को दूर करती है व समाज के लिए कल्याणकारी हैं। इसलिए नवरात्रि के नौ दिन देवी की पूजा सच्चे भाव से करने से जीवन में संमृद्धि आती है।
आज हम इस लेख में नवरात्रि में वास्तु की कुछ बातों के बारे मे बता रहे हैं जिन बातों का ध्यान में रखने से पूजा निर्विघन सम्पन्न होगी और पूजा का शुभ फल भी जल्दी प्राप्त होता है।
वास्तु के अनुसार, पूजा में ध्यान का विशेष महत्व होता है। इस लिये जब भी ध्यान करें उस समय उत्तर-पूर्व दिशा (ईशान कोण) का चुनाव करें यह दिशा शुभ मानी गई है। यह दिशा का संबंध मानसिक स्पष्टता से है। इस लिये इस दिशा की ओर मुख करके देवी का ध्यान करना चाहिये।
देवी पूजा में देवी की मूर्ति को हमेशा लकड़ी के पाटे पर रख कर स्थापित करें। अगर चौंकी चंदन की लकडी की हो, तो ज्यादा शुभ रहेगा। क्योकि वास्तु में चंदन शुभ और सकारात्मक ऊर्जा का केंद्र माना गया है। ऐसा करने से घर का वास्तुदोष भी हटता है।
नवरात्रि में नौ दिन तक देवी के सामने अखंड ज्योति जलाने के लिए पूजन स्थल पर आग्नेय कोण में दिया जलाएं। इस दिशा में अखंड ज्योति रखने से घर में सुख-समृद्धि का आती है और शत्रुओं का नाश होती है।