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बनारस का विशालाक्षी शक्तिपीठ मंदिर दुर्गा माता की शक्ति का प्रतीक है

बनारस में हिन्दू धर्म के तमाम स्थल हैं जिनकी अपनी अलग ही महिमा है, काशी नगरी बनारस के ऐसे ही एक खास मंदिर के बारे में हम आपको बताने जा रहे है जिसकी भी महिम ख़ूब व्यख्यात है। हिन्दू धर्म में 51 शाक्तिपीटों में से विशालाक्षी मंदिर एक है। बनारस में यह मंदिर काशी विश्वनाथ
बनारस का विशालाक्षी शक्तिपीठ मंदिर दुर्गा माता की शक्ति का प्रतीक है

बनारस में हिन्दू धर्म के तमाम स्थल हैं जिनकी अपनी अलग ही महिमा है, काशी नगरी बनारस के ऐसे ही एक खास मंदिर के बारे में हम आपको बताने जा रहे है जिसकी भी महिम ख़ूब व्यख्यात है।  हिन्दू धर्म में 51 शाक्तिपीटों में से विशालाक्षी मंदिर एक है। बनारस में यह मंदिर काशी विश्वनाथ मंदिर से कुछ दूरी पर ही स्थित है।

पौराणिक कथाओं में है मंदिर का जिक्र

इसमें कोई दो राय नहीं की बनारस धर्म कुंडों से भरा पडा है और इसलिए इसे सांस्कृतिक राजधानी संज्ञा दी जाती है। यह मंदिर उत्तरी मध्य भारत की गंगा नदी के बाएं तद पर यह मंदिर स्थित है । इस मंदिर का विवरण हिन्दू धर्म के देव पुराणों में भी मिलता है। हिन्दू धर्म की मान्यताओं के अनुसार यहां आंख या दाएं कान की मणि गिरी थी । पुराणों के अनुसार सति के जहां कपड़े, अंग गिरे थे वहां  ही इस मंदिर का अस्तित्व में आए।

पुराणों के अनुसार जानें महिलाओं रखें किन बातों का ध्यान 

 इस मंदिर के विषय में कहा जाता है कि भगवान शिव जब सति के देह को लेकर इधर उधर भटक रहे थे तब उनके कान कुंडल यहां गिरा था । इस मंदिर के विषय में विभिन्न पुराणों में अलग पौराणिक कथाएं प्रचलित है पर इस मंदिर को देवी की विद्वमान शाक्ति रुप कहा जाता है ।

एक मंदिर ऐसा जहां रहते हैं चूहे

इस मंदिर की महिमा लोगों का यहां खींच लाती है जिस शहर में यह विद्वमान है उसकी धार्मिक लोग प्रियता तो पूरे देश के साथ ही, विश्व में भी फैली हुई है। बनारस आने वाले ज्यादा तरह श्रादलुओं द्वारा इस मंदिर के दर्शन किए जाते है ।

 

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