Samachar Nama
×

Shabari jayanti 2021: 5 मार्च को है शबरी जयंती, जानिए इस दिन से जुड़ी पौराणिक कथा

हिंदू धर्म में व्रत त्योहार को विशेष महत्व दिया जाता हैं वही कल यानी 5 मार्च दिन शुक्रवार को शबरी जयंती का त्योहार मनाया जाएगा। इस दिन महिलाएं माता शबरी और प्रभु श्रीराम की पूजा करती हैं और व्रत उपवास भी रखती हैं तो आज हम आपको इस व्रत से जुड़ी पौराणिक कथा बताने जा
Shabari jayanti 2021: 5 मार्च को है शबरी जयंती, जानिए इस दिन से जुड़ी पौराणिक कथा

हिंदू धर्म में व्रत त्योहार को विशेष महत्व दिया जाता हैं वही कल यानी 5 मार्च दिन शुक्रवार को शबरी जयंती का त्योहार मनाया जाएगा। इस दिन महिलाएं माता शबरी और प्रभु श्रीराम की पूजा करती हैं और व्रत उपवास भी रखती हैं तो आज हम आपको इस व्रत से जुड़ी पौराणिक कथा बताने जा रहे हैं तो आइए जानते हैं।Shabari jayanti 2021: 5 मार्च को है शबरी जयंती, जानिए इस दिन से जुड़ी पौराणिक कथा

जानिए पौराणिक कथा—
रामायण में वर्णित है कि प्रभु श्रीराम की वनवास के दौरान शबरी से मुलाकात हुई। शबरी का असली नाम श्रमणा था। जो एक भील समुदाय से थी। शबरी का विवाह एक भील कुमार से हुआ था। चूंकि शबरी के पिता भील जाति के मुखिया थे। शबरी का ह्रदय बहुत निर्मल था।Shabari jayanti 2021: 5 मार्च को है शबरी जयंती, जानिए इस दिन से जुड़ी पौराणिक कथा जब शबरी का विवाह हुआ तो परंपरा के अनुसार पशुओं को बलि के लिए लाया गया। शबरी यह देखकर आहत हुईं और विवाह से ठीक एक दिन पूर्व घर छोड़कर दंडकारण्य वन में आकर निवास करने लगी। यहां पर मातंग ऋषि तपस्या किया करते थे। शबरी ऋषि की सेवा करना चाहती थी। मगर उन्हें लगता था कि वह भील जाति से है इसलिए उसे यह अवसर नहीं मिल पाएगा।Shabari jayanti 2021: 5 मार्च को है शबरी जयंती, जानिए इस दिन से जुड़ी पौराणिक कथा

शबरी सुबह जल्दी उठकर ऋषियों के उठने से पहले उस मार्ग को साफ कर देती थी जो आश्रम से नदी तक का जाता था। शबरी कांटे चुनकर मार्ग में साफ बालू बिछा देती थी। शबरी यह सब चुपचाप करती थी। जिससे किसी को पता न चले। एक दिन शबरी को ऐसा करते हुए एक ऋषि ने देख लिया और उसकी सेवा से ऋषि बहुत प्रसन्न हुए। ऋषि मातंग का जब अंतिम समय आया तो उन्होंने शबरी को बुलाकर कहा कि वो अपने आश्रम में ही प्रभु श्रीराम की प्रतीक्षा करें। वे उनसे मिलने जरूर आएंगे। शबरी ऋषि की बात को मानकर भगवान श्रीराम का इंतजार करने लगी। रोज की तरह ही वह मार्ग को साफ करती। भगवान के लिए मीठे बेर तोड़कर लाती। मीठे बेर के लिए वह हर बेर को चखकर एक पात्र में रखती। ऐसा करते हुए बहुत वक्त गुजर गया।Shabari jayanti 2021: 5 मार्च को है शबरी जयंती, जानिए इस दिन से जुड़ी पौराणिक कथाएक दिन शबरी को पता चला कि दो सुंदर युवक उसे ढूंढ रहे हैं, वे समझ गईं ये और कोइ्र नहीं बल्कि उसके प्रभु श्रीराम ही हैं प्रभु को आश्रम आता देख शबरी बहुत अधिक प्रसन्न हुईं। शबरी ने श्रीराम के चरणों को धोकर और आसन दिया। इसके बाद वह जूठे बेर लेकर आई जो प्रभु श्रीराम के लिए लाई थी।

 

Share this story