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लॉकडाउन में ढील के बाद से समुद्र और सड़क परिवहन की दर में वृद्धि

इंडिया रेटिंग्स एंड रिसर्च के अनुसार, समुद्र और सड़क परिवहन के लिए लॉकडाउन प्रतिबंधों को कम करने के विषय पर चर्चा चल रही है, जबकि वहीं दूसरी तरफ हवाई परिवहन पर अधिक जोर दिया जा रहा है । भारत के बंदरगाहों में कार्य की मात्रा जून में 80 से 85 प्रतिशत तक के पूर्व समान
लॉकडाउन में ढील के बाद से समुद्र और सड़क परिवहन की दर में वृद्धि

इंडिया रेटिंग्स एंड रिसर्च के अनुसार, समुद्र और सड़क परिवहन के लिए लॉकडाउन प्रतिबंधों को कम करने के विषय पर चर्चा चल रही है, जबकि वहीं दूसरी तरफ हवाई परिवहन पर अधिक जोर दिया जा रहा है । भारत के बंदरगाहों में कार्य की मात्रा जून में 80 से 85 प्रतिशत तक के पूर्व समान अपने सामान्य स्तर पर पहुंच गई थी । आपको बतादें की अप्रैल और मई के दौरान मात्रा में 21 से 23 प्रतिशत की सालाना गिरावट दर्ज की गई थी ।

भारत के लॉजिस्टिक्स सेक्टर पर क्रेडिट न्यूज के पहले संस्करण में रेटिंग एजेंसी ने कहा है कि निर्यात को पूर्व-कोरोना स्तरों तक पहुंचाने के दौरान अर्थव्यवस्था में काफी गंभीर रूप से नुकसान हुआ है। E-waybill और डीजल की खपत से संकेत मिल रहा है कि सड़क परिवहन की मात्रा पूर्व-कोरोना ​​स्तर के लगभग 85 प्रतिशत तक हो सकती है। हालांकि, मई में सामान्य स्तर पर भी 60 प्रतिशत यात्री परिवहन और माल यातायात पर दबाव के साथ हवाई परिवहन में दबाव अधिक बना हुआ है।

पूर्वी बंदरगाहों पर लौह अयस्क के निर्यात में 26 प्रतिशत की बढ़त को हासिल किया था ,जो की जून में  21 से 23 प्रतिशत की गिरावट के साथ प्रमुख बंदरगाह में यह दर पिछले साल के मुकाबले काफी कम है। जून में आयात में काफी धीमापन बना हुआ है, पूर्व-कोरोना के स्तर के निर्यात में हुए बदलाव के कारण भारत का आयात-निर्यात का मिश्रण 65:30 तक के विभाजन से जून में 58:38 बदल गया है।

ट्रक ड्राइवरों की कमी और रेलवे की कमी के कारण रेल की बाजार हिस्सेदारी पांच महीनों में तेजी से बढ़ रही है जो की जून में लगभग 25 प्रतिशत हो गई थी।रेल और सड़क के बीच माल भार के अंतर में रेल की किराया दरों में 1.8 प्रति टन प्रति किमी जबकि सड़क पर यही दर 2.6 रुपये प्रति टन प्रति टन पर बनी हुई है ।

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