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अब रेगिस्तान की हवा से पानी बनाया जा सकेगा

जयपुर। आजकल दुनिया में पानी की समस्या हर तरफ मुंह खोले खड़ी है। ऐसे में पेयजल संकट को दूर करने के लिए वैज्ञानिक कई तरह के शोध करने में जुटे हुए हैं। इसी दिशा में अमेरिकी वैज्ञानिकों को एक शानदार सफलता हासिल हुई है। जी हा, अब रेगिस्तान की हवा से पानी बनाया जा सकेगा।
अब रेगिस्तान की हवा से पानी बनाया जा सकेगा

जयपुर। आजकल दुनिया में पानी की समस्या हर तरफ मुंह खोले खड़ी है। ऐसे में पेयजल संकट को दूर करने के लिए वैज्ञानिक कई तरह के शोध करने में जुटे हुए हैं। इसी दिशा में अमेरिकी वैज्ञानिकों को एक शानदार सफलता हासिल हुई है। जी हा, अब रेगिस्तान की हवा से पानी बनाया जा सकेगा। वैज्ञानिकों ने एक खास उपकरण विकसित किया है जो रेतीले धोरे के बीच बहती हवा को पेयजल में बदल देता है। गौरव की बात यह है कि इस शोध दल में भारतीय मूल का एक वैज्ञानिक भी शामिल है।

अब रेगिस्तान की हवा से पानी बनाया जा सकेगा

वैज्ञानिकों की माने तो धरती के बिल्कुल सूखे और बंजर क्षेत्रों में भी नमी पाई जाती है। इस छुपी हुई आर्द्रता को पानी में तब्दील करने के लिए वैज्ञानिकों ने एक व्यवहारिक तरीका खोज लिया है। दुनिया के सबसे अव्वल नंबर शोध संस्थान मैसाचुसेट्स प्रौद्योगिकी संस्थान (एमआईटी) के अनुसंधानकर्ताओं ने यह अनोखा तरीका खोजा है। शोधर्ताओं ने टेम्पे और एरिजोना के रेगिस्तान में इस उपकरण का सफल परीक्षण किया है।

अब रेगिस्तान की हवा से पानी बनाया जा सकेगा

हम आपको बता दे कि इस समय पूरी दुनिया पेयजल संकट से जूंझ रही है। ऐसे में यह नई तकनीक काफी कारगर साबित होगी। वैज्ञानिकों ने बताया है कि इस तकनीक में मेटल ऑर्गेनिक फ्रेमवर्क्स (एमओएफ) नामक प्रक्रिया काम में ली गई है। इस उपकरण के द्वारा मात्र 10 प्रतिशत नमी वाली रेगिस्तानी सूखी हवा से भी पानी बनाया जा सकेगा। यह अनुसंधान नेचर कम्युनिकेशन्स नामक जर्नल में प्रकाशित किया गया है।

अब रेगिस्तान की हवा से पानी बनाया जा सकेगा

हाल ही में भारत के परमाणु ऊर्जा विभाग के इंदौर स्थित एक प्रमुख वैज्ञानिक संस्थान ने भी ऐसा ही एक उपकरण बनाया है। इस तकनीक में पानी में यूरेनियम का स्तर पता लगाने के लिए एक खास उपकरण विकसित किया। इस उपकरण का नाम लेजर फ्लोरीमीटर रखा गया है। इस उपकरण की खास बात यह है कि यह पंजाब सहित देश के उन सभी राज्यों के लोगों को कैंसर और अन्य गंभीर रोगों के खतरे से बचा पाएगा जहां जल स्त्रोतों में यूरेनियम के अंश बहुत ज्यादा पाए जाते हैं।

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