श्रावण मास 2020: भगवान शिव ने मां पार्वती को बताए थे ये रहस्य
भोलेनाथ अपने भक्तों से बहुत ही जल्दी प्रसन्न हो जाते हैं और शिव का प्रिय महीना सावन शुरू हो चुका हैं यह महीना शिव भक्ति के लिए खास माना जाता हैं शिव ही आदि हैं शिव ही अनंत हैं शिव जी ने माता पार्वती को कई ऐसी बातें बताई हैं जिनका पालन करने से जीवन को सफल बनाया जाता हैं, तो आज हम उन्हीं रहस्यों के बारे में बताने जा रहे हैं।
मां पार्वती ने शिव जी से पूछा कि सबसे बड़ा धर्म और सबसे बड़ा पाप क्या है इस पर उन्होंने कहा कि “नास्ति सत्यात् परो नानृतात् पातकं परम्।” अर्थात् सबसे बड़ा धर्म सत्य बोलना और सत्य का साथ देना हैं तो वही असत्य बोलना या उसका साथ देना सबसे बड़ा अधर्म हैं।
‘आत्मसाक्षी भवेन्नित्यमात्मनुस्तु शुभाशुभे।’
व्यक्ति को खुद ही अपने हर काम का साक्षी यानी गवाह बनना चाहिए। चाहे फिर वह कैसा भी कार्य हो चाहे अच्छा या बुरा। कोई भी काम करते वक्त यह विचार अपने मन में नहीं लाना चाहिए कि उसके कर्मों को कोई नहीं देख रहा हैं जब मनुष्य गलत काम करता हैं तो उसे समय यह सोचता हैं कि कोई नहीं देख रहा हैं और इसी कारण व्यक्ति बिना किसी भय के पास करता हैं। मगर सत्य कुछ और होता हैं हर व्यक्ति अपने सभी कर्मों का साक्षी स्वंय होता हैं अगर मनुश्य अपने मन में हमेशा यही भाव रखे तो वह स्वयं ही अपने आप को पाप कर्म करने से रोक सकता हैं। ‘दोषदर्शी भवेत्तत्र यत्र स्नेहः प्रवर्तते। अनिष्टेनान्वितं पश्चेद् यथा क्षिप्रं विरज्यते।।’
इसका अर्थ हैं कि मनुष्य को जिस भी व्यक्ति, वस्तु या परिस्थिति से लगाव हो रहा हो, जो कि उसकी सफलता में रुकावट बन रही हो, तो मनुष्य को उसमें दोष ढूंढ़ना आरंभ कर देना चाहिए और ऐसी परिस्थिति या व्यक्ति का मोह त्याग देना चाहिए।