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जिनकी तिथि याद नहीं करें उन पूर्वजों का श्राद्ध

कई लोगो को अपने पूर्वजों की तिथि पंचांग के मुताबिक याद नहीं रहती हैं वही ऐसे लोग सर्वपितृ अमावस्या पर यानी की 28 सितंबर के दिन ही श्राद्ध करें। पितरों को तर्पण करने के लिए कम से कम तिल जल का दान जरूर करें। वही अपने बुजुर्गों को स्मरण करने के लिए सनातन धर्म में हर माह की अमावस्या तिथि हैं और 15 या 16 दिनों तक चलने वाले श्राद्ध या महालय पर्व हैं।
जिनकी तिथि याद नहीं करें उन पूर्वजों का श्राद्ध

पितृपक्ष हिंदू धर्म के लिए बहुत ही विशेष माना जाता हैं वही कई लोगो को अपने पूर्वजों की तिथि पंचांग के मुताबिक याद नहीं रहती हैं वही ऐसे लोग सर्वपितृ अमावस्या पर यानी की 28 सितंबर के दिन ही श्राद्ध करें। पितरों को तर्पण करने के लिए कम से कम तिल जल का दान जरूर करें। वही अपने बुजुर्गों को स्मरण करने के लिए सनातन धर्म में हर माह की अमावस्या तिथि हैं और 15 या 16 दिनों तक चलने वाले श्राद्ध या महालय पर्व हैं।जिनकी तिथि याद नहीं करें उन पूर्वजों का श्राद्ध वही श्राद्ध इस बार 14 सितंबर से 28 सितंबर तक रहेगा। वही भाद्रपद पूर्णिमा से चलने वाला महालय पर्व सर्वपितृ अमावस्या के दिन समाप्त हो रहा हैं जिनको अपने पूर्वजों की मृत्यु की तिथि पंचांग के मुताबिक याद नहीं हैं, वे सर्वपितृ अमावस्या 28 सितंबर को ही श्राद्ध कर्म करें।जिनकी तिथि याद नहीं करें उन पूर्वजों का श्राद्ध

मगर ध्यान रहें कि धन होने पर श्राद्ध में कंजूसी नहीं करनी चाहिए। और धन के ना होने पर सनातन धर्म के अमूल्य ग्रंथ विष्णु पुराण के मुताबिक वन में या अपनी झोपड़ी में ही दोनों भुजाओं को उठाकर कहें मेरे प्रिय पितरों, मेरा प्रणाम स्वीकार करें। मेरे पास श्राद्ध के योग्य न तो धन हैं, न सामग्री। आप मेरी भक्ति से ही लाभ प्राप्त करें। वही यहां कम से कम जल तो जरूर ही अर्पित करें।जिनकी तिथि याद नहीं करें उन पूर्वजों का श्राद्ध ऐसा माना जाता हैं कि श्राद्ध न करने पर पितर अपने वंशजों को शाप देकर लौट जाते हैं और इसी वजह से भविष्य में होने वाली संतानों की कुंडली में पितृदोष आदि परेशानियों और समस्याए आती हैं। जीवित देवी देवता हमारे माता पिता ही हैं उनकी जीवित रहते ही सेवरा करनी चाहिए। जिनकी तिथि याद नहीं करें उन पूर्वजों का श्राद्ध

कई लोगो को अपने पूर्वजों की तिथि पंचांग के मुताबिक याद नहीं रहती हैं वही ऐसे लोग सर्वपितृ अमावस्या पर यानी की 28 सितंबर के दिन ही श्राद्ध करें। पितरों को तर्पण करने के लिए कम से कम तिल जल का दान जरूर करें। वही अपने बुजुर्गों को स्मरण करने के लिए सनातन धर्म में हर माह की अमावस्या तिथि हैं और 15 या 16 दिनों तक चलने वाले श्राद्ध या महालय पर्व हैं। जिनकी तिथि याद नहीं करें उन पूर्वजों का श्राद्ध

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