Samachar Nama
×

Sakat chauth vrat katha: सकट चौथ व्रत में जरूर पढ़ें ये पौराणिक कथा, पूरी होंगी सभी कामनाएं

हिंदू धर्म में व्रत त्योहारों को विशेष महत्व दिया जाता हैं वही हर महीने संकष्टी चतुर्थी का व्रत किया जाता हैं मगर माघ मास में आने वाली चौथ का खास महत्व होता हैं इस बार सकट चौथ का व्रत 31 जनवरी को पड़ रहा हैं इस दिन श्री गणेश की पूजा का विधान होता हैं
Sakat chauth vrat katha: सकट चौथ व्रत में जरूर पढ़ें ये पौराणिक कथा, पूरी होंगी सभी कामनाएं

हिंदू धर्म में व्रत त्योहारों को विशेष महत्व दिया जाता हैं वही हर महीने संकष्टी चतुर्थी का व्रत किया जाता हैं मगर माघ मास में आने वाली चौथ का खास महत्व होता हैं इस बार सकट चौथ का व्रत 31 जनवरी को पड़ रहा हैंSakat chauth vrat katha: सकट चौथ व्रत में जरूर पढ़ें ये पौराणिक कथा, पूरी होंगी सभी कामनाएं इस दिन श्री गणेश की पूजा का विधान होता हैं रात को चंद्रमा को जल देने के बाद व्रत का पारण किया जाता हैं कुछ जगहों पर सूर्य को जल देने की भी परंपरा हैं सकट चौथ पर तिल के लड्डू, तिलकुटा आदि बनाया जाता हैं यह व्रत माताएं अपनी संतान की लंबी आयु की कामना के लिए करती हैं सकट चौथ को संकष्टी चतुर्थी, वक्रकुंडी चतुर्थी, तिलकुटा चौथ आदि कई नामों से जाना जाता हैं तो आज हम आपको इस व्रत के पीछे की पौराणिक कथा बताने जा रहे हैं तो आइए जानते हैं।Sakat chauth vrat katha: सकट चौथ व्रत में जरूर पढ़ें ये पौराणिक कथा, पूरी होंगी सभी कामनाएं

जानिए सकट चौथ व्रत कथा—
पौराणिक कथा के मुताबिक भगवान शिव के बहुत सारे गण थे। वे माता पार्वती का आदेश भी मानते थे। मगर शिव का आदेश उनके गणों के लिए सर्वोपरि था। एक बार मां पार्वती ने सोचा की कोई ऐसा होना चाहिए जो केवल उनके आदेश का पालन करें। Sakat chauth vrat katha: सकट चौथ व्रत में जरूर पढ़ें ये पौराणिक कथा, पूरी होंगी सभी कामनाएंतभी मां ने अपने उबटन से एक बालक की आकृति बनाई और उसमें प्राण डाल दिएं। यह बालक मां पार्वती का पुत्र गणेश कहलाया। इस सब के विषय में शिव को ज्ञात नहीं था। जब माता स्नान के लिए गई तो उन्होंने द्वार पर बालक गणेश को खड़ा कर दिया और कहा जब तक वे न कहें किसी को अंदर नहीं आने दें।Sakat chauth vrat katha: सकट चौथ व्रत में जरूर पढ़ें ये पौराणिक कथा, पूरी होंगी सभी कामनाएं

तभी शिव के गण वहां आए मगर बालक गणेश ने उन्हें अंदर जाने से रोक दिया। जिससे उनके बीच द्वंद हुआ। श्री गणेश ने सभी को परास्त कर वहां से भगा दिया। जिसके बाद शिव वहां पहुंचे, बालक ने उन्हें भी प्रवेश द्वार पर ही रोक दिया। जिसके कारण शिव क्रोधित हो गए।Sakat chauth vrat katha: सकट चौथ व्रत में जरूर पढ़ें ये पौराणिक कथा, पूरी होंगी सभी कामनाएं क्रोध वश उन्होंने अपने त्रिशूल से गणेश का सिर धड़ से अलग कर दिया जब मां पार्वती बहर आई और उन्होंने यह सब देखा। तो अपने पुत्र की दशा देखकर उनका ह्रदय द्रवित हो उठा। वे दुख और क्रोध में आकर शिव से बालक गणेश को जीवन दान देने को कहने लगी। यह सब ज्ञात होने के बाद शिव ने गणेश को हाथी का सिर लगाकर जीवित किया। जिससे वे गजानन कहलाएं। सभी 33 कोटि देवी देवताओं ने श्री गणेश को आशीर्वाद दिया। तब से सकट चौथ का व्रत किया जाता हैं।Sakat chauth vrat katha: सकट चौथ व्रत में जरूर पढ़ें ये पौराणिक कथा, पूरी होंगी सभी कामनाएं

Share this story